ब्रिटिश आर्थिक नीतियों का भारतीय व्यापार पर प्रभाव (1757–1947)

1757 से 1947 तक ब्रिटिश शासन ने भारत की आत्मनिर्भर और समृद्ध अर्थव्यवस्था को बदलकर उसे ब्रिटिश पूँजीवाद का औपनिवेशिक अंग बना दिया।

  • ब्रिटिश आर्थिक नीतियों ने भारत के व्यापारिक ढाँचे को संतुलित (आंतरिक–बाह्य) विनिमय से हटाकर एकतरफ़ा निर्यात-आधारित आश्रय बना दिया, जिससे सारा लाभ ब्रिटेन को मिला।
  • यह काल “समृद्ध पूर्व-औपनिवेशिक व्यापार” से “औद्योगिक पतन और धन-निकासी (drain of wealth)” वाले औपनिवेशिक युग में संक्रमण का प्रतीक बना।

ब्रिटिश शासन से पहले का व्यापारिक ढाँचा

विशेषता

1757 से पहले का भारत (मुगल और प्रांतीय राज्यकाल)

निर्यात

वस्त्र, मसाले, नील, हस्तशिल्प, इस्पात, कीमती रत्न

आयात

सोना-चाँदी, घोड़े, विलास सामग्री

व्यापार संतुलन

भारत के पक्ष में — “सोने–चाँदी का भंडार”

मुख्य ....

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