पल्लव, चोल और होयसाल वंशों की मंदिर-निर्माण परंपराएँ

दक्षिण भारत की वास्तुकला की उत्क्रांति का इतिहास 3 महान राजवंशों (पल्लव, चोल और होयसल) के मंदिर-निर्माण से परिभाषित होता है। पल्लवों ने द्रविड़ शैली की नींव रखी, चोलों ने इसे भव्यता के चरम पर पहुँचाया और होयसलों ने इसे बारीक नक्काशी और सौंदर्य के विलक्षण संगम में बदल दिया। इन सबने मिलकर मध्यकालीन दक्षिण भारत के धार्मिक, कलात्मक और राजनीतिक उत्कर्ष का स्वर्ण युग रचा।

मंदिर-शैली का विकास

वंश

मुख्य स्थापत्य चरण व संरक्षण

विशेष स्थापत्य तत्व

सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव

पल्लव (6वीं–9वीं शताब्दी ई.)

द्रविड़ शैली के प्रवर्तक: आरंभ में महेंद्रवर्मन के अधीन गुफा-मंदिरों (मंडपों) से शुरू होकर नरसिंहवर्मन के समय महाबलीपुरम के एकाश्मक ....

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