आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रतिक्रिया में प्रौद्योगिकी की भूमिका

भारत की भौगोलिक स्थिति इसे भूकम्प, बाढ़, सूखा, चक्रवात और जलवायु-प्रेरित आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती है। चरम मौसमी घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रारंभिक चेतावनी, तैयारी, जोखिम आकलन और आपदा-पश्चात प्रतिक्रिया में प्रौद्योगिकी अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सेन्दाई फ्रेमवर्क (2015-2030) भी आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) में प्रौद्योगिकी, नवाचार और डाटा की महत्ता पर बल देता है। भारत का NDMA, IMD, ISRO और CDRI जलवायु-लचीले आपदा शासन हेतु लगातार प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ा रहे हैं।

हालिया प्रगति

  • जून 2025 में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भारत की आपदा प्रबंधन क्षमता ....

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