आरक्षण व्यवस्था और उप-वर्गीकरण

भारत में आरक्षण व्यवस्था को सामाजिक न्याय का साधन मानकर लागू किया गया था, ताकि ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके। किंतु समय के साथ यह स्पष्ट हुआ कि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्गों के भीतर भी लाभ का वितरण असमान है।

  • इस अंतर-वर्गीय असमानता को देखते हुए 1 अगस्त, 2024 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक निर्णय (7-न्यायाधीशीय पीठ, 6:1 बहुमत) में यह व्यवस्था दी कि राज्य सरकारें SC/ST वर्गों के भीतर उप-वर्गीकरण कर सकती हैं, ताकि आरक्षण का लाभ न्यायसंगत ढंग से वितरित हो सके।
  • न्यायालय ने कहा कि यह ....
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