प्राचीन भारतीय दर्शन की शाखाएँ

प्राचीन भारतीय दर्शन एक विशाल और गहन वैचारिक परंपरा है, जिसमें आस्तिक (वैदिक-स्वीकृत) और नास्तिक (वैदिक-अस्वीकृत) दोनों प्रकार की विचारधाराएँ शामिल हैं। आस्तिक दर्शन, जैसे न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदांत, वैदिक प्रमाण को स्वीकार करते हैं; जबकि नास्तिक दर्शन, जैसे चार्वाक, जैन और बौद्ध मत, वैदिक अधिकार को अस्वीकार करते हुए स्वतंत्र मार्ग प्रस्तुत करते हैं। इन सबका मुख्य उद्देश्य मोक्ष (मुक्ति) की प्राप्ति है, जिसे ज्ञान (Epistemology), तत्वमीमांसा (Metaphysics) और नैतिकता (Ethics) के विश्लेषण के माध्यम से समझाया गया।

दर्शन का ऐतिहासिक विकास

काल

प्रमुख विकास और विषय

ज्ञानमीमांसीय व तत्वमीमांसीय विकास

प्रारंभिक प्राचीनकाल

सूत्र-युग की नींव: ....

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