​मौर्य और गुप्त काल में मुहर एवं लिखित अभिलेखों का प्रयोग

मौर्य और गुप्त—दोनों ही साम्राज्यों में प्रशासनिक एवं विधिक कार्यप्रणाली के लिए मुहरों और लिखित अभिलेखों का प्रयोग अत्यंत महत्त्वपूर्ण था। इनका उपयोग अभिलेखों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने, राज्य-सम्पत्ति के प्रबंधन तथा केंद्रीकृत सत्ता को लागू करने के लिए किया जाता था।

मौर्य काल (322–185 ई.पू.)

  • मुहरों का प्रयोग
    • प्रशासनिक प्रमाणीकरण: मौर्यकालीन मुहरें, प्रायः मिट्टी (टेराकोटा), ताँबे या हाथी-दाँत से निर्मित होती थीं। अधिकारी इनका प्रयोग शासकीय दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता सिद्ध करने और छेड़छाड़ रोकने के लिए करते थे।
    • सत्ता का प्रतीक: कुछ मुहरों पर शाही चिह्न अथवा ब्राह्मी लिपि में अभिलेख अंकित होते थे, जो शासन और कराधान से संबंधित आदेशों की वैधता ....
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