निःशुल्क विधिक सहायता एवं सुभेद्य वर्ग

न्याय तक पहुँच प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है, किंतु अनेक सुभेद्य वर्गों के लिए आर्थिक एवं सामाजिक अवरोध इसे एक दूरस्थ स्वप्न बना देते हैं। निःशुल्क विधिक सहायता एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण तंत्र है, जिसका उद्देश्य इस खाई को पाटना है, ताकि न्याय केवल संपन्न वर्ग तक सीमित न रहे, बल्कि प्रत्येक नागरिक का अधिकार बने। भारत में यह व्यवस्था सामाजिक परिवर्तन का सशक्त साधन है, जो वंचितों को सशक्त बनाने और अन्याय के विरुद्ध उन्हें विधिक संबल प्रदान करने के लिए कार्यरत है।

संवैधानिक निदेश और विधिक ढाँचा

  • निःशुल्क विधिक सहायता का अधिकार प्रत्यक्षतः मौलिक अधिकार के रूप में ....

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