प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत में सिक्का-प्रणालियाँ

भारत में सिक्कों का इतिहास उसकी आर्थिक, राजनीतिक और व्यापारिक उन्नति का जीवंत दर्पण है। गाय और कौड़ियों के विनिमय से लेकर धातु के पंच-चिह्नित सिक्कों और बाद में राज्य द्वारा जारी स्वर्ण–रजत मुद्राओं तक की यात्रा, भारतीय अर्थव्यवस्था की परिपक्वता और संप्रभुता का प्रतीक रही है। महाजनपदों से लेकर मुगलों तक, हर युग ने अपने विशिष्ट सिक्के, धातुएँ और ढलाई तकनीकें विकसित कीं, जिसने भारत को संसार की सबसे प्राचीन और उन्नत मौद्रिक अर्थव्यवस्थाओं में स्थान दिलाया।

प्राचीन भारत : धातु मुद्रा का जन्म और क्षेत्रीय सिक्का-प्रणालियाँ

प्राक्-मौर्य और महाजनपद काल (ई.पू. 600 – 321)

  • भारत के प्रथम ....

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