मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत: त्यौहार, रीति-रिवाज, प्रदर्शन कलाएँ

भारत की सांस्कृतिक धरोहर दो रूपों में विद्यमान है, मूर्त (Tangible) धरोहर (जैसे भौतिक स्मारक, मूर्तियाँ, कलाकृतियाँ) और अमूर्त (Intangible) धरोहर (जैसे जीवित परंपराएँ, अनुष्ठान, नृत्य, संगीत, और लोककला)। भारत में यह धरोहर केवल अतीत की वस्तु नहीं, बल्कि एक जीवित परंपरा है— जहाँ त्यौहार, अनुष्ठान और प्रदर्शन कलाएँ इतिहास की गहरी स्मृतियों को सहेजते हुए सामाजिक एकता, सांस्कृतिक पहचान और नैतिक व सौंदर्यबोध का ज्ञान पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाती हैं।

मूर्त और अमूर्त धरोहर का परस्पर संबंध

धरोहर का रूप

अमूर्त अभिव्यक्ति (प्रक्रिया/प्रदर्शन)

मूर्त आधार (स्थान/वस्तु)

सामाजिक और सांस्कृतिक भूमिका

प्रदर्शन कलाएँ

कूटियाट्टम (संस्कृत रंगमंच) और वैदिक मंत्रोच्चार — यह प्रदर्शन कलाएँ ....

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