प्राचीन भारत की शास्त्रीय भाषाएँ और उनका स्थान

प्राचीन भारत की शास्त्रीय भाषाएँ—मुख्यतः संस्कृत और तमिल—उच्च संस्कृति, बौद्धिक विमर्श और धार्मिक अभिव्यक्ति के प्रमुख साधन थीं।

  • ये मौखिक परंपरा से विकसित होकर अत्यंत व्यवस्थित लिखित रूपों में परिवर्तित हुईं।
  • इनका स्थान राजनीतिक संरक्षण, साहित्यिक दीर्घायु और दर्शन, व्याकरण, विधि तथा भारतीय सभ्यता की मूल आख्यानों के संहिताकरण में उनकी भूमिका से परिभाषित हुआ।

प्रमुख भाषाओं की स्थिति और योगदान

भाषा

प्रभुत्व का काल/स्थान

साहित्यिक योगदान और संहिताकरण

वैदिक संस्कृत

पवित्र और आनुष्ठानिक (1500–500 ई.पू.): वेद, ब्राह्मण, अरण्यक और उपनिषदों की भाषा। मौखिक, अत्यधिक रूप-परिवर्तनीय और अनुष्ठानिक रूप से संरक्षित।

धार्मिक आधार: हिन्दू धर्म की आध्यात्मिक, दार्शनिक और पौराणिक नींव रखी। मंत्रों को शुद्ध उच्चारण ....

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