​प्रारंभिक मध्यकालीन सामंती प्रशासन

भारत में प्रारंभिक मध्यकाल (लगभग 600–1200 ई.) की प्रशासनिक व्यवस्था मूलतः राजनीतिक विकेंद्रीकरण और सामंत प्रणाली के संस्थानीकरण द्वारा परिभाषित होती है, जिसके परिणामस्वरूप इतिहासकार इसे प्रायः ‘भारतीय सामंतवाद’ की संज्ञा देते हैं। सामंत (जागीरदार या अधीनस्थ सरदार) इस विकेंद्रीकृत प्रशासन के स्तंभ और राजनीतिक संरचना के प्रमुख सैन्य घटक थे।

प्रमुख विशेषताएँ

  1. स्वायत्त शासन
    • सामंतों को प्रायः नकद वेतन के बजाय या विजय/निष्ठा के पुरस्कारस्वरूप भू-भाग प्रदान किया जाता था।
    • इन्हें अपने क्षेत्र का लगभग पूर्ण प्रशासन करने का अधिकार प्राप्त था।
  2. कर संग्रह
    • उनके प्रशासन का मुख्य कार्य अपने क्षेत्र से राजस्व एकत्र करना था।
    • वे इसका एक हिस्सा अपने क्षेत्र की ....
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