​प्राचीन और मध्यकालीन भारत में ग्राम पंचायत प्रणाली

भारत में ग्राम पंचायत व्यवस्था की जड़ें अत्यंत प्राचीन हैं। इसका आरंभ वैदिक काल से माना जाता है, जब स्वशासी ग्राम सभाओं के प्रमाण मिलते हैं। स्थानीय स्वायत्तता पर आधारित यह व्यवस्था कालांतर में मध्यकालीन दौर में सल्तनत और मुगल शासन के दौरान केंद्रीकरण की प्रक्रिया के कारण महत्वपूर्ण परिवर्तन से गुज़री।

प्राचीन भारत (वैदिक से गुप्तोत्तर काल तक)

ग्राम की आत्मनिर्भरता: प्राचीन भारत में गाँव एक आत्मनिर्भर इकाई था, जो अपने अधिकांश कार्य स्वतंत्र रूप से संचालित करता था। ग्राम प्रशासन में स्थानीय सभाओं को पर्याप्त स्वायत्तता प्राप्त थी।

ग्राम सभाओं की मुख्य विशेषताएं:

  • वैदिक काल: ‘सभा’ और ‘समिति’ जैसे जनपद-स्तरीय निकायों के ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रारंभिक विशेष