ब्रिटिश शासन के दौरान स्थानीय शासन व्यवस्था (पंचायती राज प्रणाली का उद्भव)

ब्रिटिश शासनकाल में भारत की पारंपरिक स्थानीय शासन प्रणाली — विशेष रूप से ग्राम पंचायत व्यवस्था — औपनिवेशिक केंद्रीकरण और आर्थिक नीतियों के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुई। जहाँ एक ओर अंग्रेज़ों ने स्वशासी ग्राम-समुदायों को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया, वहीं बाद के वर्षों में उन्होंने सीमित लोकतांत्रिक सुधारों के माध्यम से स्थानीय स्वशासन की अवधारणा को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया। यही प्रयास आगे चलकर स्वतंत्र भारत में पंचायती राज प्रणाली की नींव बने।

मुख्य संकेत

  • पारंपरिक पंचायतों का दमन: औपनिवेशिक शासन के प्रारंभिक चरण में ब्रिटिश नीतियों ने स्वावलंबी ग्राम समुदायों और उनकी पंचायतों को क्रमबद्ध रूप से ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रारंभिक विशेष