प्रारंभिक वैदिक काल में जनजातीय राजनीतिक संगठन

ऋग्वैदिक समाज जनजातीय और पितृसत्तात्मक था। यह कुलों और जनजातियों में विभाजित था, जिनका नेतृत्व राजन करता था। राजन सभा, समिति और विदथ जैसी जन-सभाओं के सहयोग से शासन करता था। समय के साथ, यह व्यवस्था रक्त-संबंधों पर आधारित कबीलाई शासन से विकसित होकर वंशानुगत राजत्व और भौगोलिक राज्य-सत्ता (प्रादेशिक राज्यों) में परिवर्तित हो गई, जो उत्तर वैदिक काल की विशेषता बनी।

राजन की भूमिका एवं उसके अधिकार

  • राजन को जनस्य गोप (जनता का रक्षक) कहा गया है।
  • उनकी प्रमुख जिम्मेदारियों में शामिल हैं:
    • युद्धों और पशु हमलों (गोरक्षण युद्धों) में जनजाति का नेतृत्व करना।
    • जन एवं पशुधन (गो-संपत्ति) की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • राजन के अधिकार ....
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