Question : आज प्रशासनिक विधि की अंतर्वस्तु मुख्य रूप से लोक प्रशासनिक क्रियाकलाप की परिधि के द्वारा परिचालित होती है। स्पष्ट कीजिए।
(2006)
Answer : प्रशासनिक कानून अपने विस्तृत भाव में कानून का वह पूरा समूह है जो लोक प्रशासन से संबंधित है। बार्थलैमी (Barthelemy) के अनुसार प्रशासनिक कानून उन सभी सिद्धांतों का समूह है जिनके अनुसार कानून को लागू करने में लगी हुई लोक सेवाओं (न्यायपालिका के अतिरिक्त) की गतिविधि का प्रयोग होता है।
यह लोकविधि की दो बड़ी शाखाओं में से एक है। संविधानिक कानून का संबंध सरकार की मशीनरी की संरचना से होता है, जबकि ....
Question : संप्रति प्रशासनिक विधि की अर्न्तवस्तु मुुख्य रूप से लोक प्रशासन कार्यकलाप की व्याप्ति के द्वारा चालित है। स्पष्ट कीजिए।
(2005)
Answer : लोक प्रशासकों को अपनी शक्तियों को क्रियान्वित करने में सदैव विवेकाधीन सत्ता प्राप्त होती है। प्रशासनिक कानून, कानूनों का वह समूह है जिसका सम्बन्ध सार्वजनिक प्रशासन से है। प्रशासनिक कानून उन सभी सिद्धान्तों का समूह है, जिनके अनुसार कानून को लागू करने में लगी हुई लोक सेवाओं की गतिविधि का प्रयोग होता है। यह प्रशासनिक प्राधिकरण के संगठन, शक्तियां तथा कर्त्तव्यों का निर्धारण करता है। प्रशासनिक अभिकरणों की शक्तियां तथा कार्यविधियों से सम्बधित कानून ही ....
Question : प्रत्यायोजनी विधान आत्यंतिक नहीं होता है। इसको समझाइए।
(2004)
Answer : प्रत्यायोजनी विधान प्रशासन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक है। विधि निर्माण संसद का कार्य है, लेकिन संसद द्वारा आज जितनी भी विधियां पारित की जाती हैं, उनका स्वरूप क्रियाहीन होता है। संसदीय विधियों में नियमों की एक मोटी रूपरेखा तैयार की जाती है। संसद द्वारा निर्मित विधि की मोटी रूप रेखा का विभागीय आदेशों अथवा प्रशासनिक आज्ञाओं द्वारा क्रियान्वित किया जाता है, इसी को प्रत्यायोजनी विधान कहते हैं।
प्रत्यायोजनी विधान के कारण संसद के ....
Question : फ्डायसी न केवल विधि समस्त शासन की अपनी संकल्पना में गलत था, परन्तु उसने प्रशासनिक विधि का सार्थकता को भी नजर अन्दाज किया था। टिप्पणी कीजिए।
(2002)
Answer : प्रशासनिक न्यायालयों का जन्म फ्रांस के क्रांतिकारी युग में शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त में प्रभावित तत्कालीन व्यावहारिक आवश्यकताओं के कारण हुआ था। ब्रिटिश विद्वान डायसी ने अपनी पुस्तक संविधान का कानून में प्रशासनिक कानून की पहचान ड्रापट एडमिनिस्ट्रेटिव के उस विशेष भाग के साथ की, जिसके अनुसार सरकारी अधिकारी बनाम नागरिक के विवादों की सुनवाई साधारण न्यायालयों द्वारा न होकर प्रशासनिक न्यायालयों द्वारा होती है, जिसमें न्यायाधीश लोक सेवक होता है। डायसी ने कहा कि राज्यों ....
Question : ‘केन्द्रीय और राज्य प्रशासनिक अधिकरणों की प्राथमिकता और उपयोगिता।‘
(2002)
Answer : प्रशासनिक न्यायाधिकरण साधारण न्यायिक प्रणाली के बाहर स्थित ऐसी सत्ता है जो उस समय विधियों की व्याख्या करते हैं एवं उन्हें लागू करते हैं, जब लोक प्रशासन के कार्यों पर औपचारिक मुकदमों या अन्य स्थापित रीतियों द्वारा आक्रमण होता हैं। प्रशासनिक अभिकरण द्वारा कानून तथा तथ्य के आधार पर किसी गैर सरकारी पक्ष से सम्बधित विवाद की जांच तथा उस पर निर्णय देना है।
भारत मे ब्रिटेन की भॉति ही प्रशासनिक अधिकरणों का विकास हुआ है। ....
Question : आधुनिक सरकारी तन्त्र में प्रशासनिक विधि अपरिहार्य है।
(1998)
Answer : प्रशासनिक विधि से तात्पर्य यह है कि यह शासन के सभी अंगों के प्रशासन से सम्बन्ध रखने वाली विधि है। प्रशासकीय कानून अपने व्यापक अर्थ में विधियों का वह समूह है, जिसका सम्बन्ध सार्वजनिक प्रशासन से है। प्रशासकीय कानून वह कानून है जो प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों के निर्वहन में विवेक प्रयोग की सीमाओं का निर्धारण करता है तथा इसके लिए एक सुनिश्चित ढंग से अथवा तरीके की ओर निर्देश देता है।
यूरोपीय देशों ....
Question : प्रशासनिक विधि का केन्द्रीय सरोकार प्रशासनिक विवेक की कानूनी परिसीमा बांधना रहा है।
(1997)
Answer : अपने व्यापक अर्थ में प्रशासनिक विधि का क्षेत्र काफी वृहद् है। इस अर्थ में वह शासन के सभी अंगों से सम्पर्क रखने वाली विधि है। वस्तुतः प्रशासनिक विधि, कानूनों का वह संग्रह है, जिसका संबंध सार्वजनिक प्रशासन से है। अपने सीमित अर्थ में प्रशासनिक विधि का सम्बन्ध प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रयुक्त विधिक सोपानों में स्वविवेक से है। प्रशासकीय विधि उन नियमों का संग्रह है, जो नागरिकों के प्रति प्रशासकीय अधिकारियों के सम्बन्धों का नियमन करते ....