Question : ‘संगठन दो या अधिक व्यक्तियों के सचेतन रूप से समन्वित क्रियाकलापों या बलों का एक तन्त्र होता है। टिप्पणी कीजिए।
(2005)
Answer : प्रबन्ध प्रक्रिया का अत्यन्त महत्वपूर्ण चरण एवं कार्य संगठन है, क्योंकि संगठन ही व्यक्तियों अथवा समूहों के द्वारा किए जाने वाले कार्यों की एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा उपलब्ध साधनों के प्रयोग के लिए सुव्यवस्थित, रचनात्मक और समन्वयपूर्ण क्रियाक्षेत्र तैयार करने का प्रयत्न किया जाता है। किसी भी कार्य को सुचारू रूप से करने के लिए संगठन नितान्त आवश्यक है। कार्य सफलता अथवा असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि संगठन कितना सुव्यवस्थित ....
Question : ‘सोपानिक नियंत्रण’ जिसमें अनुदेश सीढ़ी दर सीढ़ी नीचे पहुंचते हैं, नियंत्रण का मात्र आयाम नहीं है।
(2005)
Answer : अधिकारी तंत्र में कार्य संबंधी क्रियाएं विशेषीकरण के आधार पर विशिष्ट पदों को प्रत्यापिर्त कर दी जाती हैं। उच्चता से प्रारंभ होकर शक्ति व शासन का हस्तांतरण निम्नता की ओर प्रत्येक निरीक्षक से उसके अधीनस्थ कर्मचारियों को सौंप दी जाती है। प्रत्येक पद का एक अपना विशिष्ट सीमांकन होता है। यहां कार्य, योग्यता, सत्ता, उत्तरदायित्व तथा पद के अन्य भागों का स्पष्ट सीमांकन होता है। न्यूनस्तर के पदों को एक समूह में लाकर के एक ....
Question : फ्प्रतीत होता है कि आज संगठन सूचना एवं तन्त्रें में निवेश कर रहे हैं, लेकिन अक्सर उनके निवेश समझदारी पूर्ण नहीं प्रतीत होते हैं। टिप्पणी कीजिए।
(2003)
Answer : वर्तमान युग में प्रशासनिक संगठन में सूचना के महत्व में वृद्धि हो रही है क्योंकि सूचनाओं के अभाव में संगठन प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएगा। यदि किसी संगठन के लोग एक दूसरे की भावनाओं को जान समझ लें तो निस्संदेह उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। संगठन में आपसी विचार-विमर्श बहुत अधिक महत्व रखता है।
आज सूचना क्रांति के विविध रूपों, जैसे फैक्स, ई-मेल, इंटरनेट आदि किसी संगठन में अधिकाधिक उपयोग किए जाते हैं, आज कम्प्यूटरीकरण को संगठन ....
Question : सभी प्रशासनिक संगठन ‘पदसोपान’ को एक महिमा मंडित ‘तकनीक’ क्यों मानते हैं? विवेचना कीजिए।
(2001)
Answer : प्रशासन के ढांचे का निर्माण पदसोपान प्रणाली के आधार पर होता है। वस्तुतः इस संगठन में कार्यरत कर्मचारियों के मध्य संगठन के कार्य एवं सत्ता का विभाजन है। इस विभाजन के फलस्वरूप सत्ता पर आधारित एक ऐसे प्रशासनिक ढांचे का निर्माण होता है, जिसमें उच्च अधिकारियों और निम्न अधिकारियों के बीच सम्बन्धों को दिखाया जाता है। पदसोपान उच्च एवं अधीनस्थ कर्मचारियों के मध्य स्पष्ट विभेद है।
पदसोपान का अर्थ श्रेणीबद्ध प्रशासन से ही है। इससे तात्पर्य ....
Question : सरकार के प्रशासनिक संगठन का समुचित विश्लेषण तभी संभव है जब हम ‘अधिकार तंत्र’ को ढांचा और प्रशासन को ‘कार्य संपादन’ मान लें। चर्चा कीजिए।
(2001)
Answer : सरकार के प्रशासनिक संगठन का विश्लेषण प्रशासनिक तंत्र के ढांचे तथा उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों में विभाजित करके समझा जा सकता है, क्योंकि बिना किसी संरचना तथा कार्य विशेषीकरण के संगठन का अस्तिव संभव नहीं है। प्राचीन काल से ही समाज में संगठन विद्यमान हैं। समस्याएं संगठन का निर्माण करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति किन्हीं ऐसे ध्ययों की पूर्ति करना चाहता है जिन्हें वह अकेले पूरा नहीं कर सकता। इस कारण समाज में संगठन ....
Question : ‘उदारवादी और निजीकरण के परिणाम स्वरूप लोक उद्यमों को उचित व्यवहार नहीं प्राप्त हुआ’।
(1999)
Answer : लोक उद्यमों ने स्वतन्त्रता के पश्चात भारतीय अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण में विशेष योगदान दिया। देश में बहुत से लघु एवं सहायक उद्योगों की स्थापना सार्वजनिक उपक्रमों के निर्देशन एक सहायता से की गई है। इनकी स्थापना होने से देश में रोजगार अवसरों में वृद्धि हुई एवं बेरोजगारी की समस्या पर कुछ हद तक नियंत्रण रहा, चूंकि इन उपक्रमों को मुख्यतः अविकसित एवं पिछड़े क्षेत्रें में स्थापित किया गया इसलिए विकास की किरण से दूर प्रदेशों ....
Question : राजनीतिक और स्थायी कार्यकारियों के बीच सम्बन्ध में बुनियादी प्रश्न प्रकार्योत्मक स्तर पर तथ्यों और मूल्यों का पृथ्क्करण है।
(1999)
Answer : किसी शासन प्रणाली में मुख्यतः कार्यकारिणी शाखा के दो भाग होते हैं- राजनीतिक किन्तु अस्थाई व प्रशासनिक किन्तु स्थाई। अगर संसदीय शासन प्रणाली का उदाहरण लें तो प्रधानमंत्री, मंत्रीमंडल के सदस्य मंत्री, राज्यमंत्री तथा उपमंत्री आदि राजनीतिक कार्यपालिका के अन्तर्गत आते हैं। इनको मंत्री पद इसलिए प्राप्त होता है क्योंकि ये चुनावों में चुने गए हैं और उनकी पार्टी ने संसद में बहुमत प्राप्त किया है। इनकी पदावधि तब तक है जब तक इनको संसद ....
Question : संगठन के आयोग रूप में सरकार की ‘शीर्षहीन चतुर्थ शाखा’ होने की प्रवृत्ति रहेगी।
(1999)
Answer : लोक प्रशासन की दृष्टि में विश्व में कोई भी प्रशासनिक प्रणाली पूर्णतः एकीकृत नहीं होती है और न तो पूर्णतः विशंखलित वास्तव में राज्य की कुछ एकीकृत की उदाहरण होती हैं एवं कुछ सेवाएं वि शृंखलित प्रणाली का भी उदाहरण होती हैं। अमेरिका में ऐसे अनेक सम्बधित विभाग ब्यूरो मंडल, आयोग तथा निकाय आदि हैं, जो राष्ट्रपति के सम्पूर्ण कार्यपालिका शक्ति से स्वचछन्द होते हैं। ये वि शृंखलन के उदाहरण हैं, इसके विपरीत भारत में ....
Question : संचार संगठन को बांधे रखता है।
(1998)
Answer : संचार शब्द में विचारों का आदान-प्रदान, विचारों की साझेदारी तथा भाग लेने की भावना सम्मिलित है। न्यूमैन एवं समर के अनुसार संचार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के तथ्यों विचारों, सम्मतियों अथवा भावनाओं का पारस्परिक आदान-प्रदान है।
संचार को प्रशासन का प्रथम सिद्धांत माना जाता है। संगठन के उद्देश्यों की सफलता के लिए एक प्रभावशाली संचार व्यवस्था आवश्यक होती है। प्रशासन द्विमार्गीय यातायात के सामान है व प्रभावी संचार को आवश्यकता का अनुभव करता है। ....
Question : समन्वय के प्रबंधकीय और प्रकार्यात्मक पक्षों के बीच विभेदन कीजिए। समन्वय कैसे प्राप्त किया जाता है?
(1998)
Answer : समन्वय संगठन का निर्धारक सिद्धांत है। यह वह रूप है, जो अन्य अनेक सिद्धांतों को समाहित करता है एवं सभी संगठित प्रयासों का आरंभ तथा अंत करता है। समन्वय को प्रबंधक का एक कार्य भी माना गया है। समन्वय करने का प्रमुख अर्थ है कि एक संगठन की क्रियाओं में समरूपता लाना जिससे की उनका कार्य सरल हो जाए और वह सफलता प्राप्त कर सके। समन्वय स्वयं में साध्य नहीं है, बल्कि संगठन को लक्ष्यों ....
Question : ‘सिद्धांत रूप से, बोर्ड प्रशासन, सरकार और राजनीति के बीच के भेद को नष्ट कर देता है, क्योंकि इसके द्वारा राजनीति प्रशासन में प्रवेश कर जाती है।‘
(1997)
Answer : मण्डल अथवा बोर्ड प्रणाली में विभाग ने निर्देशन एवं पर्यवेक्षण को दायित्व का व्यतिकरण कर दिया जाता है। भारत में इसके उदाहरण रेलवे बोर्ड, केंद्रीय उत्पाद शुल्क तथा सीमा शुल्क बोर्ड एवं केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड है। रेलों के प्रशासन, परिचालन-प्रबंध और संचालन हेतु मात्र रेलमंत्री द्वारा सम्पादित न होकर उनके नीचे बहुसदस्यों वाले रेलवे बोर्ड द्वारा किया जाता है। यही स्थिति अन्य विभागों के बोर्डों में भी होती है।
राज्यों में इसी प्रकार राजस्व, बिजली, ....
Question : ‘फ्रेडरिक हर्जबर्ग का द्विकारक सिद्धांत कमोवेश रूप से अब्राहम मैस्लो के अभिप्रेरण सिद्धांत का विस्तार है।‘ समझाइए
(1997)
Answer : सन् 1943 में प्रकाशित अपने निबंध फ्मानव अभिप्रेरण का एक सिद्धांतय् में अब्राहम मैस्लो ने आवश्यकता सोपान सिद्धांत की प्रथमतः प्रस्तुति की। यह अभिप्रेरणा का लोकप्रिय सिद्धांत बना। मैस्लो ने मानवीय आवश्यकताओं को दृष्टिगत् रखते हुए संगठन तथा व्यक्तियों के संबंध का अवलोकन कर विश्लेषण किया। संगठन का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति की भावना केंद्र में होती है। ये व्यक्ति की आवश्यकताएं भिन्न-भिन्न क्षेत्रें से संदर्भित होती हैं। इन आवश्यकताओं ....
Question : केंद्रीयकरण का झुकाव शक्ति और प्रभुत्व की ओर रहता है। इसके दूसरी ओर, विकेंद्रीयकरण का झुकाव स्पर्धा और आत्म-निर्णय की ओर होता है। चर्चा कीजिए।
(1997)
Answer : प्रशासकीय संगठन को विकेन्द्रीकृत रखा जाए या केन्द्रित यह विवाद का विषय है। इस विवाद का सम्बन्ध इस तथ्य से है कि संगठन के अंतर्गत अधिकारी वर्ग का अपने अधीनस्थों तथा केंद्रीय कार्यालयों का क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ कैसा सम्बन्ध हो, इन दोनों के मध्य विकेन्द्रीकृत आधार पर सम्बन्ध हो या केन्द्रीकृत आधार पर। केन्द्रीय संगठन में समस्त महत्वपूर्ण मामलों का निर्णय करने वाली सत्ता, केन्द्रीय कार्यालय के नियंत्रणाधीन होती है। इस व्यवस्था में क्रमिक ....
Question : यह कहना कहां तक सही होगा कि प्रत्यायोजित विधि निर्माण आज की आवश्यकता बन गई है और यह आगे भी ऐसा ही चलने वाला है, यह अपरिहार्य भी है और अनिवार्य भी?
(1997)
Answer : विधि निर्माण विधान मण्डल का अग्रगण्य कार्य है। कार्याधिक्य होने के कारण विधान मण्डल के लिये सभी विषयों पर विधि निर्माण कल्पना कुसुम मात्र है। विधानमण्डल जब विधि निर्माण की अपनी शक्ति प्रशासनिक अधिकारियों के हाथों में स्थानान्तरित कर देता है, तो उसे ही प्रदत्त विधायन या प्रतिनिहित विधान की संज्ञा दी जाती है। इसका महत्व विधानमण्डल द्वारा निर्मित विधि के सदृश ही होता है। विधायिका द्वारा प्रदत्त विधिक सत्ता के अनुरूप अधीनस्थ पदाधिकारियों एवं ....