Question : प्रशासन में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार के कारण बताइए। प्रशासनिक भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए उपाय सुझाइए।
(2003)
Answer : भ्रष्टाचार का अर्थ है कि किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा सार्वजनिक पद अथवा स्थिति का दुरूपयोग करना है, अपने विस्तृत अर्थ में पद या सत्ता का आर्थिक एवं अनार्थिक दोनों रूप में अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए, दुरूपयोग सम्मिलित है।
प्रशासन में दिनोदिन भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। इसका प्रमुख कारण प्रशासन में स्वतन्त्रता के पश्चात् आयोग्य व्यक्तियों की भर्ती हुई जिससे भ्रष्टाचार पनपा। शहरीकरण एवं औद्योगीकरण का महत्व बढ़ जाने से भौतिकवाद को आश्रय मिला है, ....
Question : इक्कीसवीं शताब्दी के तेजी से बदलते हुए परिदृश्य में प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकताओं एवं पक्षों का परीक्षण कीजिए। प्रशासनिक सुधारों के रास्ते में कौन सी रूकावटें हैं? उन पर काबू पाने के लिए सुझाव दीजिए।
(2003)
Answer : प्रशासनिक सुधार का अर्थ है प्रशासन में इस प्रकार सुनियोजित परिवर्तन लाना, जिनसे वह अपनी क्षमताएं बढ़ा सके और सामाजिक लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में अग्रसर हो सके। वास्तविक स्वरूप में प्रशासनिक सुधार प्रशासनिक विकास की एक ऐसी प्रक्रिया है, जो सुनियोजित एवं संगठित होने के साथ-साथ निरन्तरता एवं सृजनशीलता की अपेक्षा करती है। प्रशासनिक सुधार का अर्थ उस प्रक्रिया से है जिससे प्रशासनिक व्यवस्था की कार्यकुशलता एवं गुणवत्ता में वृद्धि करने के लिए ....
Question : प्रशासन की अतियों एवं कुसंक्रियाओं के विरोध में नागरिकों की शिकायतों की निवारण के लिए उपलब्ध विभिन्न संस्थागत साधन कौन से हैं? वे कितने सफल रहे हैं।
(2003)
Answer : प्रशासन की अतियों एवं कुसंक्रियाओं के विरोध में नागरिकों की शिकायत के निवारण हेतु, विभागीय नियन्त्रण, कानूनी प्रावधान, लेखा परीक्षा, केन्द्रीय सतर्कता आयोग, केन्द्रीय अन्वेषण विभाग, राज्य सतर्कता आयोग भ्रष्टाचार निरोधक विभाग, लोकायुक्त, लोकपाल, नागरिक अधिकार तंत्र, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, उपभोक्ता फोरम एवं फास्ट ट्रैक कोर्ट जैसी संस्थाएं कार्यरत है।
नागरिकों द्वारा प्राप्त शिकायत जनप्रतिनिधियों द्वारा संसद में प्रश्न काल के दौरान उठायी जाती है, जिस पर सम्बन्धित मन्त्री स्पष्टीकरण देता है, साथ ....
Question : सार्वजनिक निगम स्वयं में एक उद्देश्य नहीं होते हैं, बल्कि लोक कल्याण की प्रोन्नति के लिए अभिकल्पित सरकारी कार्य कलापों का एक विस्तार होते हैं। इसको प्रमाणित कीजिए।
(2002)
Answer : सार्वजनिक निगम का आशय ऐसे निगम से है, जिसकी स्थापना संसद द्वारा विशेष अधिनियम के अधीनकी जाती है और यह अधिनियम ही उसके अधिकारों, दायित्वों एवं कार्यक्षेत्र की सीमाओं का निर्धारण करता है। सार्वजनिक निगम सार्वजनिक स्वामित्व वाला एक ऐसा उपक्रम है, जिसकी स्थापना किसी विशेष व्यवसाय को चलाने उसका वित्तीय उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए किसी संघीय राज्य अथवा स्थानीय अधिनियम के अन्तर्गत की गई है।
सार्वजनिक निगम विधान बनाने वाली सभा द्वारा निर्मित ....
Question : यू. के. के (संसदीय आयुक्त) पार्लियामेन्टरी कमिश्नर, की तुलना में, भारतीय संसद में पुनः स्थापित विधेयक में प्रस्तावित लोकपाल संस्था की शक्तियां, किन बातों में इस संस्था को अधिक सशक्त बनाएगी?
(2001)
Answer : ब्रिटेन में सर जान व्हाइट समिति का मुख्य प्रस्ताव था कि कुप्रशासन की शिकायतों के विरुद्ध जांच के लिए स्केन्डेनोवियन देशों जैसी संस्था ओम्बुडसमैन स्थापित की जाए। इसे संसदीय आयुक्त का नाम प्रदान किया गया। इस समिति ने ट्रिव्यूनल व्यवस्था के प्रसार का भी सुझाव दिया। वस्तुतः जन साधारण की शिकायतों का निवारण करने तथा लोक प्रशासन की कुशलता एवं निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटेन ने सन् 1967 में संसदीय आयुक्त की नियुक्ति ....
Question : कैरियर विकास में अखिल भारतीय सेवाओं और राज्य सेवाओं को क्या अवसर उपलब्ध है? आप सहमत हैं कि आधुनिक प्रशासनिक राज्य में सामान्यज्ञो के दिन गिनती के हैं?
(2000)
Answer : लोक सेवा की दृष्टि से अखिल भारतीय सेवाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। अखिल भारतीय सेवाओं के कर्मचारी पूर्णतः केन्द्रीय अथवा राज्यों की सेवा में नहीं होते, अपितु उनकी अदला-बदली कतिपय मान्य नियमों के अधीन दोनों ही स्तरों पर की जा सकती है, जबकि उनकी भर्ती और नियंत्रण मोटे रूप से संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से केन्द्रीय सरकार ही करती है। भारतीय संविधान के अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार तथा घटक राज्यों के प्रशासन के लिए ....
Question : ‘स्वेच्छिकवाद राज्य केन्द्रिकता का प्रतिपक्ष नहीं है’
(1999)
Answer : भारत एक संघ राज्य वाला देश है। संविधान द्वारा स्वीकृति देश मे संसदीय लोकतंत्रत्मक प्रणाली अपनाई गई है। जिसमें राज्यों के भी इकाइयों के रूप में स्वतन्त्र बनाया जा रहा है। इसी कारण से केन्द्र तथा राज्यों के मध्य शक्ति विभाजन संघ शासक की एक अनिवार्य विशेषता बन गया है। राज्य व केन्द्र दोनों ही एक दूसरे के कार्य क्षेत्र पर अतिक्रमण करते हैं। किन्तु कतिपय ऐसी परिस्थितियों राज्य एवं केन्द्र के मध्य उत्पन्न हो ....
Question : लोक हित मुकदमेबाजी सामाजिक न्याय प्राप्त करने की दिशा में एक प्रभाव नवप्रवर्तन है।
(1999)
Answer : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के अन्तर्गत यह प्रावधान है कि इस अनुच्छेद के अधीन न्याय पाने का हक उसी व्यक्ति को है, जिसके मूलाधिकारों का हनन हुआ है, परन्तु उच्चतम न्यायालय ने अब संशोधन कर के अनुच्छेद 32 के अधिकार को अत्यन्त विस्तृत कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने यह निर्धारित किया है कि अनुच्छेद 32 के अधीन कोई संस्था या लोकहित से प्रेरित कोई नागरिक किसी ऐसे व्यक्ति के संवैधानिक या विधिक अधिकारों ....