Question : हर्बर्ट ए. साइमन की ‘निर्णय-निर्धारण योजना’ तथा संतोषजनक मॉडल’ प्रशासनिक सिद्धांतों के प्रमुख घटक हैं। टिप्पणी कीजिए।
(2001)
Answer : हर्बर्ट ए- साइमन प्रशासन के निर्णयन के बराबर ही मानते हैं। प्रशासन के वैध सिद्धांत और उन्हें लागू करने का उपाय तभी संभव है, जब शोध पूरा हो जाए। कई बौद्धिकों के संतोष के बुनियादी शब्दकोष में वृद्धि हो जाए, निर्णयन और अमल करने का विश्लेषण हो और अवरोध क्षमताओं, आदतों, मूल्यों और ज्ञान की विवेक शक्ति की सीमाओं की पूरी तरह से छानबीन कर ली जाए। परंपरावादी सिद्धांतगत के विकास के तौर पर निर्णयन ....
Question : ‘किसी मामले पर कार्य किये जाने से पूर्व, उसके आवश्यक रूप से गुजरने के संगठनात्मक स्तरों की संख्या को कम से कम बनाए रखने के द्वारा ही प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि होती है।‘
(2000)
Answer : संगठन में सोपानों की संख्या नियन्त्रण से निर्धारित होती है। नियंत्रण का विस्तार क्षेत्र उन अधीनस्थ या संगठन की इकाइयों की संख्या है, जिनका निदेशन प्रशासन स्वयं करता है। मानवीय क्षमता की भी सीमाएं होती हैं। यदि निरीक्षण का क्षेत्र बहुत अधिक विस्तृत होगा तो उसके परिणाम असंतोषजनक होंगे, अतः किसी भी क्षेत्र के उचित विकास के लिए नियंत्रण आवश्यक है। नियंत्रण के क्षेत्र की समस्या सोपान क्रम वाले संगठनों में पायी जाती है। किसी ....
Question : मानवीय सम्बन्ध सिद्धान्त के आधारित अभ्युपगमों की परीक्षा कीजिये और बताइये कि यह किस सीमा तक संगठनों के क्लासिकी सिद्धान्त से भिन्न है।
(1997)
Answer : रुढि़वादी प्रबन्ध विद्वानों ने व्यवस्था, विवेकपूर्णता, कार्य विभाजन, विशिष्टीकरण और प्राधिकार सम्बन्धों पर आश्रित औपचारिक ढांचे पर विशेष बल दिया। इन्होंने श्रमिकों की व्यवस्था आर्थिकता के दृष्टिकोण से की। मानवीय सम्बन्ध सिद्धान्त के समर्थक विद्वानों ने इस आर्थिकता से परिपूर्ण व्यवस्था को स्वीकार न करते हुये चुनौती दी। उन्होंने निर्धारित नियमों, निर्धारित व्यवस्था, विवेकपूर्णता और अधिकारी तंत्र पर अवलम्बित संगठन को औपचारिक बताते हुये इसका प्रतिवाद किया और गैर औपचारिक लोकतांत्रिक तथा सहभागी संगठन के ....
Question : ‘‘अर्थात् सफल प्रशासक होने के लिये व्यक्ति में उदार जिज्ञासा का होना आवश्यक है’’
(1997)
Answer : सफल प्रशासक होने के लिये प्रथमतः यह आवश्यक है कि प्रशासक को संगठन के नियमों, तथ्यों, नीतियों इत्यादि के बारे में पूर्ण ज्ञान हो। भारत एक संघ राज्य है, अतः यहां पर लोक सेवकों का दायित्व वृहद्ता रखते हैं। लोकतंत्र में नियंत्रण की अधिकारिक शक्ति लोक प्रशासकों के पास रहती है। लोकतंत्र में संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये नौकरशाही आवश्यक है। नौकरशाही की सत्ता का आधार विधिक होता है। संगठन के कार्य को ....