Question : ‘प्रशासनिक प्रश्न राजनीतिक प्रश्न नहीं हुआ करते हैं’ चर्चा कीजिए।
(2005)
Answer : राजनीति एवं प्रशासन में घनिष्ठ संबंध है। राजनीति प्रशासन के लिए कार्य निर्धारित करती है। प्रशासन उन्हें नीति निर्धारित करने के लिए आवश्यक सामग्री एवं परामर्श देता है। नीति को कार्यान्वित करता है परंतु इतना घनिष्ठ संबंध होने के साथ-साथ प्रशासन राजनीति के विषय क्षेत्र से बाहर है। प्रशासनिक समस्याएं नहीं होतीं यद्यपि राजनीति प्रशासन के कार्यों का स्वरूप निर्धारित करती है, तथापि उसको यह अधिकार नहीं दिया जाता है कि वह प्रशासनिक पक्षों के ....
Question : लोक प्रशासन का विज्ञान तब तक संभव नहीं है जब तक कि तुलनात्मक अध्ययनों का एक ऐसा पुंज न हो जाए, जिसके द्वारा राष्ट्रीय सीमाओं को और विचित्र ऐतिहासिक अनुभवों को लांघने वाले सिद्धांतों और सामान्यीकरणों की खोज करना संभव हो सके। चर्चा कीजिए।
(2005)
Answer : लोक प्रशासन में तत्संबंधी सिद्धांतों के समूह का अस्तित्व उसे विज्ञान की संज्ञा तथा स्थान प्राप्त करने के योग्य बना देता है। सर्वकालिकता, सार्वभौमिकता, सुस्पष्टता, सृजनशीलता तथा विश्वसनीयता विज्ञान की विशेषताएं हैं। विज्ञान ज्ञान की वह शाखा है जो तथ्यों को संजोती है और सामान्य नियमों को खोज निकालने का प्रयत्न करती है। विज्ञान की अपनी विशेषताएं हैं, विज्ञान के सारे नियम निश्चित होते हैं, अधिकांशतः सारे सिद्धांत सार्वभौमिक होते हैं। विज्ञान में आदर्श व ....
Question : लोकतंत्र और सुशासन का अपने शाब्दिक अर्थों में ही परस्पर विरोध है। उदाहरण देते हुए इस पर चर्चा कीजिए।
(2004)
Answer : लोकतंत्र एवं सुशासन का अपने शाब्दिक अर्थ में परस्पर विरोध आधुनिक युग की अवधारणाओं के कारण है। लोकतंत्र शासन की एक महत्वपूर्ण एवं चर्चित प्रणाली है। वर्तमान युग में लोकतंत्र पर विशेष बल दिया जाता रहा है। विश्व के प्रत्येक राष्ट्र लोकतांत्रिक बनने का प्रयास कर रहे हैं। जनता का, जनता के लिए एवं जनता के द्वारा शासन लोकतंत्र है। लोकतांत्रिक शासन में आम जनता की सहभागिता होती है। यह मनुष्य की बढ़ती राजनीतिक चेतना ....
Question : उन्नीस सौ अस्सी के दशक से ‘राज्य के पश्च बेल्लन’ की संकल्पना का आगमन मानव समाज में लोक प्रशासन की भूमिका में परिवर्तन लाता रहा है, लेकिन निश्चित रूप से उसके केंद्रीय स्थान में कोई कमी नहीं लाता रहा है। चर्चा कीजिए।
(2003)
Answer : प्राचीन काल से ही लोक प्रशासन को अनेक प्रकार के कार्यों को संपन्न करना पड़ता रहा है क्योंकि कल्याणकारी राज्य की अवधारणा में सरकार के क्षेत्र में निरंतर विस्तार हो रहा था।
लोक प्रशासन की भूमिका कल्याणकारी राज्य की स्थान के पहले लघु थी, इसका दायरा अत्यधिक सीमित था। प्राचीन समय में लोक प्रशासन राजस्व वसूली एवं कानून व्यवस्था तक ही सीमित था, लेकिन धीरे-धीरे लोक प्रशासन के क्षेत्र का विस्तार हुआ। कल्याणकारी राज्य की अवधारणा ....
Question : ‘यद्यपि लोक और निजी प्रशासन के बीच समानता के कुछ बिंदु हैं, तथापि कोई भी निजी संगठन कभी-भी लोक संगठन के नितांत समान नहीं हो सकता है।‘
(2002)
Answer : प्रशासन का अस्तित्व अविभाज्य है एवं इसके मूल सिद्धांत हर संगठन पर चाहे वह लोक हो या निजी समान रूप से लागू होते हैं। यह मत लोक एवं निजी प्रशासन की स्पष्ट देखी जाने वाली योग्य समानताओं पर आश्रित है। लोक प्रशासन एवं निजी प्रशासन के क्रिया-कलापों को स्पष्ट रूप से अलग करना कठिन कार्य है, हालांकि सरकारी तंत्र द्वारा संपन्न क्रिया-कलाप को लोक प्रशासन कहा जाता है, किंतु कुछ निजी एजेंसियां भी इस तरह ....
Question : ‘शासन का विज्ञान मापनीय वस्तुओं इकाइयों का तत्वों के बीच निश्चर संबंधों का वर्णन करने वाले औपचारिक कथनों का एक समूह होगा। निर्विवाद रूप से, प्रशासनिक अनुसंधान ने मूर्त स्थितियों पर लागू होने वाले निश्चित प्रत्यक्षों और परिकल्पनाओं का सृजन किया है।‘ (फ्रटस मौर्सटाइन मार्क्स)
(2000)
Answer : आज के वैज्ञानिक युग में इस बात पर होड़ सी लगी है कि हर विषय को वैज्ञानिक तरीकों द्वारा सिद्ध किया जाए क्योंकि विज्ञान का दर्जा प्राप्त कर लेने पर संबंधित विषय अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है। इसी संदर्भ में किसी शास्त्र में तत्संबंधी सिद्धांतों के समूह का अस्तित्व उसे विज्ञान की संज्ञा प्राप्त करने का अधिकारी बना देता है।
विज्ञान किसी विषय से संबंधित उस ज्ञान राशि को कहते हैं जो विधिवत् पर्यवेक्षण, अनुभव एवं ....
Question : अपने स्वयं के मूल्यों और आवश्कताओं में अन्दर झांकने के बजाय, एशियाई देशों ने बाहर को ओर देखा।
(1999)
Answer : अधिकांश एशियाई देश औपनिवेशिक दासता के शिकार रहे। जब इन देशों को आजादी प्राप्त हुई तब उन्होंने अपने ऊपर आरोपित व्यवस्था को तथा विकसित देशों में चले आ रहे नियमों, कानूनों तथा परंपराओं को अपना लिया। हालांकि इनमें से अधिकांश की जरूरतें तथा आवश्यकताएं भिन्न थीं। इन देशों ने अपने परंपराओं कानूनों, रीतिरिवाजों तथा प्रशासनिक परिस्थिति की पूर्ण अवहेलना की।
तीसरी दुनिया के अधिकांश देशों में, जिसमें वे देश भी शामिल हैं जो कि पश्चिम उपनिवेशवाद ....
Question : प्रशासन का विषय क्षेत्र सरकार के प्रकार्यों के विषय क्षेत्र से निर्धारित होता है, जो कि राजनीति के द्वारा निर्णीत होता है।
(1998)
Answer : प्रशासन का विषय क्षेत्र सरकार के प्रकार्यों के विषय क्षेत्र से निर्धारित होता है, जो कि राजनीति के द्वारा निर्धारित होता है इस कथन के परिप्रेक्ष्य में राजनीति एवं प्रशासन का अंतर एवं इसमें परस्पर संबंध का संज्ञान आवश्यक है। वुडरो विल्सन और फ्रैंक जे- गुडनो के मतानुसार राजनीति एवं प्रशासन अलग-अलग हैं। यदि इसमें परस्पर संबंध रखा जाएगा तो सरकार के कार्य पर राजनीति का प्रभाव पड़ने के विध्वंसकारी परिणाम उत्पन्न होंगे। इन विद्वानों ....
Question : ‘1968 मिन्नोब्रूक सम्मेलन (पहले सम्मेलन के 20 वर्ष बाद) में विकसित विषयों के अधिकतर दृष्टि केंद्र लोक प्रशासन के क्षेत्र में वर्तमान और भावी संदृष्टियां रहे हैं।‘ समझाइये।
(1998)
Answer : सन् 1968 के बाद लोक प्रशासन के अध्ययन-क्षेत्र में नए विचारों का सूत्रपात हुआ। इन विचारों को नवीन लोक प्रशासन को संज्ञा दी गयी।
लोक प्रशासन के परंपरागत सिद्धांत में ‘मितव्ययिता और कार्य कुशलता’ अपर्याप्त प्रतीत होने लगे थे। समाज में सामाजिक समस्याओं का व्यापक स्तर पर जन्म हो रहा था, अतः लोक प्रशासन जगत को नए सिद्धांतों व विचारों की आवश्यकता महसूस होने लगी, अतः नये विचारकों की इस क्षेत्र में अपना विचार व्यक्त करने ....