Question : नीति निर्माण के प्रक्रमों का आंकलन प्रस्तुत कीजिए और नीति क्रियान्वयन की समस्याओं पर चर्चा कीजिए।
(2005)
Answer : नीति निर्माण की प्रक्रिया शासन की प्रधान क्रियाओं में से एक है। नीतियां एक प्रकार की नियोजन हैं एवं नीति का सम्बन्ध निर्णय करने से है। नियोजक नीतियों के द्वारा वांछित उद्देश्यों की पूर्ति करता है। सरकारी वर्ग का अपने आस-पास की चीजों से सम्बन्ध लोक नीति कहलाता है। सरकार जो कुछ भी करना चाहे या न करना चाहे लोक नीति कहलाती है। लोकनीति निश्चित परिवेश के अन्तर्गत एक व्यक्ति, समूह अपनी सरकार की क्रियाविधि ....
Question : लोक नीति एक स्वतन्त्र चर नहीं है और मानव का इतिहास नीति अनुभव से व्यवस्थित अधिगम का न के बराबर साक्ष्य दर्शाता है। चर्चा कीजिए।
(2004)
Answer : दुनिया के अधिकांश देश अपनी अर्थव्यवस्था, अपना सामाजिक प्रणाली में वृद्धि तथा राष्ट्रीय विकास को अधिकाधिक तीव्र गति प्रदान करने की दृष्टि से अपनी राजनीतिक क्षमता में वृद्धि हेतु प्रयासरत हैं। लोकनीति का अध्ययन इस ओर एक शक्तिशाली उपागम प्रस्तुत करता है।
वास्तव में लोकनीति एक स्वतन्त्र चर नहीं है। जिस वातावरण में नीति का जन्म होता है, उनसे अलग करके उनके सम्बन्ध में उचित जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती है। नीति कार्यवाही की मांगें ....
Question : नीति अनुसंधान उपयोग का एक निर्णय चालित मॉडल होती है। स्पष्ट कीजिए।
(2004)
Answer : लोकनीति निश्चित परिवेश के अन्तर्गत एक व्यक्ति, समूह अथवा सरकार की क्रिया विधि की प्रस्तावित प्रक्रिया है, जो अवसर एवं रूकावटें प्रदान करती है, जिसे नीति एक उद्देश्य की पूर्ति अथवा लक्ष्य की प्राप्ति के प्रयत्न के उपयोग में लाती है। लोक नीतियां सरकारी निर्णय हैं, जो कि वास्तव में कुछ लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार द्वारा अपनायी गई गतिविधियों का परिणाम होती हैं।
नीति को आमतौर पर प्रस्तुत परिवेश के भीतर किसी ....
Question : नीति निर्माण एवं उसके क्रियान्वयन में लोक प्रशासन की भूमिका पर टिप्पणी कीजिए। नीति प्रक्रम पर प्रभाव डालने वाले कौन से अन्य कारक हैं?
(2003)
Answer : प्रशासन तन्त्र का मुख्य कार्य नीतियों का क्रियान्वयन है। प्रशासन तन्त्र न केवल नीतियों का क्रियान्वयन करता है, अपितु नीति निर्माण में भी प्रभावी भूमिका का निर्वाह करता है। यह कार्य पालिका के वृहद् नीति क्षेत्र को पहचानने, बड़े प्रस्तावों को तैयार करने, सामाजिक समस्याओं जिस पर ध्यान रखना आवश्यक है उनका विभिन्न विकल्पों तथा समाधानों का विश्लेषण, मुख्य नीतियों को उपनीतियों में बदलना, कार्य की योजना निर्धारित करना, वर्तमान नीतियों इसके अनुभव के आधार ....
Question : लोक नीति वही है, जिसके लिए राजनीति होती है। प्रमाणित कीजिए।
(2002)
Answer : नीति निर्माण लोक प्रशासन का सार है। नीति निर्माण की प्रक्रिया शासन की प्रधान क्रियाओं में से एक है। सरकारी वर्ग का अपने आस-पास की चीजों से सम्बन्ध लोक नीति कहलाता है। लोक नीति का उद्देश्य लोक हित व लोक कल्याण होता है। लोकहित की अवधारणा लोक नीति को प्रभावित करती है। नीति निर्माण की प्रक्रिया समाज में निरन्तर चलती रहती है। परिवर्तित परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में नीतियों को बदलना भी पड़ता है।
लोकनीति और राजनीति ....
Question : ‘समस्त नीति-निर्माण निर्णयन है, परन्तु समस्त निर्णयन नीति-निर्माण नहीं है।‘ विस्तारपूर्वक समझाइए। नीति का उद्भव कैसे होता है और सरकार में नीति कौन-सा मार्ग अपनाता है?
(1998)
Answer : भारत निर्माण लोक प्रशासन का सार है। नीति निर्माण की प्रक्रिया शासन की प्रधान क्रियाओं में से एक है। किसी संगठन के उद्देश्य प्रायः अस्पष्ट और सामान्य होते हैं, जिन्हें नीति लक्ष्यों के रूप में सुनिश्चित किया जाता है और प्रशासन में गतिशीलता उत्पन्न करते हैं। वस्तुतः नीतियां उद्देश्यों को निश्चित अर्थ प्रदान करती हैं और प्रशासन में समस्त नियोजन नीतियों पर अवलम्बित है। प्रत्येक प्रकार के संगठन में, चाहे वह सरकारी हो या गैर ....
Question : कम विकसित देशों में नीति कार्यान्वयन का प्रभावी होना जरूरी है।
(1998)
Answer : अल्पविकसित या विकासशील देशों में नीतियों के वास्तविक क्रियान्वयन अप्रभावी रहता है। इसके पीछे विभिन्न राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा प्रशासनिक कारण होते हैं। केन्द्रीय स्तर पर किसी भी प्रकार के नीति या योजना का निर्माण होता है तथा अपेक्षा की जाती है कि इसका प्रभाव सबसे निचले स्तर तक समान रूप से पड़े।
इन नवोदित राष्ट्रों का औपनिवेशक शासन के दौरान इतना ज्यादा शोषण किया गया कि ये देश अपना सामाजिक एवं आर्थिक गठन का विकास ....
Question : ‘‘निर्णय ले लेने के बाद भी नीति-निर्माण का अंत नहीं होता है। निर्णय के क्रियान्वयन का लोक नीति पर उतना ही बड़ा प्रभाव पड़ सकता है, जितना स्वयं निर्णय का।’’ चर्चा कीजिये।
(1997)
Answer : जब प्रशासन में विधिक प्रश्न उठते हैं और उनका उत्तर न्यायालय द्वारा न होकर प्रशासन स्वयं न्यायिक निर्णय प्रस्तुत करता है, तो उसे प्रशासकीय निर्णय कहा जाता है। वस्तुतः प्रशासकीय निर्णय को प्रशासकीय अभिकरण के द्वारा विधि एवं तथ्य के आधार पर गैर शासकीय पक्ष से सम्बन्धित विवाद को हल करने से लिया जा सकता है। निर्णय उपलब्ध विकल्पों में श्रेष्ठ विकल्प चयन की प्रक्रिया है। नीतियों द्वारा प्रकाशित प्रकाश को संज्ञान में रखते हुये ....
Question : "लोक नीति की क्रियान्वित, क्या कारगर है और क्या नहीं है, इस बात को खोज लेने का प्रक्रम है।" परीक्षण कीजिये।
(2007)
Answer : नीतियों के निर्माण की विशिष्ट प्रासंगिकता है। जननीति का परिचालन उसके गुण व दोषों को प्रकट करता है।
नीति निष्पादन के द्वारा एक नीति में निर्धारित उद्देश्यों को पूर्ण करने का यत्न किया जाता है। नीति निष्पादन के अन्यानेक सोपान होते हैं। प्रथम सोपान नीति के विषयों की समझने से संदर्भित है। निष्पादन एवं परिचालन करने वाली संस्थायें नीति के विषयों का वृहद अध्ययन करती हैं तथा संदेहास्पद बिन्दुओं पर प्रायः स्पष्टीकरण की मांग करती हैं ....
Question : "नीति कार्यान्वयन के संबंध में अनाड़ीपन से ज्यादा तीव्रता से कुछ भी नहीं उभर कर आता है।" चर्चा कीजिए।
(2006)
Answer : राज्य के संचालन के लिए सरकार नीति का निर्माण करती है, इन्हें लोक नीतियां कहते हैं। नीति का निष्पादन उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि उसका निर्माण। नीति निष्पादन में प्रभावशीलता नीति निर्माण के संपूर्ण उद्योग को सफल बनाती है अतः इनके कार्यान्वयन में अत्यंत सावधानी अपेक्षित है।
क्रियान्वयन संस्था अर्थात प्रशासन में स्थायित्व पहली शर्त है क्योंकि प्रशासन में बार-बार स्थानांतरण क्रियान्वयन में बाधा पहुंचाता है। नीतियों को पूरी तरह प्रशासन के सामने स्पष्ट करना ....
Question : ‘नागरिक समाज’ की परिभाषा दीजिये। नागरिक समाज लोकनीति को किस प्रकार प्रभावित करता है?
(2006)
Answer : नागरिक समाज जैसा कि Centre For Civil Society London School Of Economicsके द्वारा कहा गया है कि यह उन स्वैच्छिक संगठनों को दर्शाता है, जिनके हित जुड़े होते हैं। यह राज्य और बाजार से अलग है और परिवार से ऊपर है, लेकिन राज्य, नागरिक समाज और बाजार को पूरी तरह से अलग कर पाना संभव नहीं है। नागरिक समाज में कई तरह के संगठन सम्मिलित हैं जैसे कि स्वयं सेवी संस्थायें, मजदूर ....