Question : प्रशासन में दक्षता सुधार के लिए, भारत में अपनाए जाने वाले संगठन एवं विधि (ओ एण्ड एम) के बीच विभिन्न तकनीकों पर प्रकाश डालिए।
(2007)
Answer : लोक प्रशासन का सम्बन्ध उन गतिशील संगठनों से है जो सरकार के दायित्वों की पूर्ति हेतु जनसाधारण के लिए सेवाएं संचालित करते हैं। प्रशासनिक संगठन अनेक प्रकार से कानूनों नियमों तथा प्रक्रियाओं का पालन करते हैं तथा इन संगठनों की संरचना भी तदानुसार निर्धारित होती है। प्रशासनिक संस्थाएं प्रत्येक युग में किसी न किसी रूप में राज्य के साथ अवश्य संलग्न रही है तथा समय की मांग के साथ इन संस्थाओं में यथोचित संशोधन भी ....
Question : "सूचना का अधिकार प्रत्येक लोक प्राधिकरण के कार्यचालन में पारदर्शिता एवं जबावदेही को बढ़ावा देता है।" स्पष्ट कीजिए।
(2007)
Answer : वीरप्पा मोइली समिति ने अपनी प्राथमिक दृष्टि में ही सुशासन के निमित्त सूचना के अधिकार की प्रासंगिकता को उपादेय माना था। प्रशासन में पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व की भावना के संचरण के निमित्त सूचना के अधिकार को ब्रह्मास्त्र माना गया। सूचना का अधिकार मौलिक अधिकार की तरह ही व्यक्ति का प्राकृतिक अधिकार माना जा सकता है। इसके माध्यम से प्रशासन में विसंगतियों एवं लालफीताशाही पर नकेल डाली जा सकती है।
बिना सूचना का अधिकार दिये हुए सुशासन ....
Question : "सूचना प्रौद्योगिकी का उदय ऐतिहासिक अशक्तताओं पर काबू पाने का एक अवसर है।" स्पष्ट कीजिए।
(2006)
Answer : औद्योगिक क्रांति का मुख्य आधार मशीनीकरण ही रहा है, जिसमें मानव श्रम के स्थान पर मशीनों को बढ़ावा मिला। प्रबंध तथा लोक प्रशासन के क्षेत्र में भी स्वचालित मशीनों तथा उपकरणों का महत्व निरंतर बढ़ा है। इससे न केवल सूचनाओं का आदान-प्रदान तेज होता है, बल्कि संगठनों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिला है। निर्णय और लोकनीतियां भागीदारीपूर्ण होती हैं। E-governance के बहुत से नये अवसर उत्पन्न होते हैं। संगठन सेवाओं के ....
Question : उत्तम शासन के सन्दर्भ में, प्रभावी सरकार-नागरिक अन्योन्यक्रिया में, सूचना प्रौद्योगिकी किन तरीकों से और किस प्रकार एक निर्णायक भूमिका अदा कर सकती है?
(2005)
Answer : किसी राष्ट्र एवं राज्य के लोगों को शान्तिपूर्वक व्यवस्थित, तार्किक, समूह तथा सहभागी जीवन प्रदान करने के लिए शासन की कार्य प्रणाली ही सुशासन है।
सुशासित राज्य वह है, जिसके नियम भले ही कम हो, लेकिन उन पर अमल कठोरता से किया जाता है व इसमें राजनीतिक जवाबदेयता, पारदर्शिता पूर्वक सूचनाएं प्रभावी एवं कुशल प्रशासन और सरकार एवं लोगों के मध्य सहयोगी की भावना परिलक्षित होती है।
उत्तम शासन में जन साधारण के हितों की उचित समय ....
Question : सूचना प्रौद्योगिकी किसको कहते हैं? लोक प्रशासन पर उसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।
(2004)
Answer : मानव के सामाजिक प्राणी बनने में सूचना ने स्नायु तन्त्र की भूमिका अदा की है। सूचनाओं के ही द्वारा मानव ने अपने जीवन को सुरक्षित व उद्देश्यपूर्ण बनाया है। सूचना के क्षेत्र में नई क्रान्ति का सूत्रपात 19वीं शताब्दी में टेलीग्र्राफ के अविष्कार के साथ हो गया था। सूचना प्रौद्योगिकी से तात्पर्य है कि ऐसी वस्तुएं, जिनका उपयोग निर्णय लेने की प्रक्रिया को अधिक अर्थपूर्ण बनाने या इसकी मदद से तथ्यों को रूप एवं आकार ....
Question : केन्द्रीय और राज्य प्रशासनिक अधिकरणों की प्रभावित और उपयोगिता।
(2000)
Answer : प्रशासनिक न्यायाधिकरण साधारण न्यायिक प्रणाली के बाहर स्थित एक ऐसी सत्ता है, जो उस समय विधियों की व्याख्या करते हैं और उन्हें लागू करते हैं। जब लोक प्रशासन के कार्यों पर औपचारिक मुकदमों या अन्य स्थापित रीतियों द्वारा आक्रमण होता है। प्रशासनिक न्यायाधिकरणों के गठन का उद्देश्य यह है कि वादकारियों को त्वरित न्याय प्राप्त हो। केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण अनेक बाधाओं के बावजूद यह कार्य काफी हद तक पूरा कर सका है। मामलों को निपटाने ....
Question : प्रशासनिक सुधार को मशीनरी में, यथार्थ और वांछनीयता के बीच की खाई को पाटने के लिये किये जाने वाले प्रेरित परिवर्तन हैं।
(1997)
Answer : प्रशासनिक सुधारों का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है, जिसमें प्रशासनिक व्यवस्था की कार्यकुशलता एवं गुणवत्ता में उत्तमता लाने का प्रयास होता है। यद्यपि प्रशासनिक सुधार सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रें में किये जाते हैं तथापि यहां प्रशासनिक सुधार का आशय शासकीय तंत्र में संरचनात्मक, कार्यात्मक, प्रक्रियात्मक, व्यावहारिक, संगठनात्मक एवं विधिक सुधारों से है। प्रशासनिक सुधारों का उद्देश्य प्रशासन को लोकमित्र बनाना एवं उत्तरदायी बनाना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना, सूचना के अधिकार को सुनिश्चित करना तथा शासन ....
Question : संगठन और विधि (ओ. और एम.) के महत्व पर प्रकाश डालिये। क्या आप समझते हैं कि अलग से ओ- और एम- संगठन होना चाहिये।
(1997)
Answer : ‘संगठन और प्रबन्ध’ या ओ. तथा एम. का प्रशासन में वही महत्व है जो धर्म में परमेश्वर का होता है। प्रायः इसे दो अर्थों में प्रयुक्त किया जाता है- संगठन तथा प्रबन्ध एवं संगठन तथा पद्धतियां। इसके अंतर्गत प्रबन्ध की समस्त क्रियाएं यथा-योजना निर्माण, संगठन समन्वय, उत्प्रेरणा, संचालन आदि समाहित हेाती हैं। अपने सीमित अर्थ में इसको संगठन एवं पद्धतियां कहा जाता है, जिसके अन्तर्गत मात्र लोक निकायों तथा निजी संस्थानों के संगठन तथा उनकी ....