Question : निष्पादन बजटन क्या होता है? उसके गुणावगुणों परिसीमाओं और कठिनाईयों पर प्रकाश डालिए?
(2007)
Answer : नव लोक प्रशासन का एक बिन्दु कार्य निष्पादन बजट है। कार्य-निष्पादन बजट की अवधारणा पिछले कुछ वर्षों से एक महत्वपूर्ण अवधारणा बन गई है क्योंकि यह वित्तीय प्रशासन में सुधार की प्रक्रिया का आवश्यक अंग है। कार्यनिष्पादन बजट परम्परागत बजट से बहुत भिन्न होता है। कार्य निष्पादन बजट विशिष्ट उद्देश्यों और कार्यों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। कार्य निष्पादन बजट परम्परागत बजट प्रणाली के एक चुनौती है। यह परम्परागत बजट से इस अर्थ ....
Question : लेखा-परीक्षण को परायी चीज, बहिरंग चीज और बाधा की प्रकृति की कोई चीज के तौर पर माना जाना जारी है। स्पष्ट
(2006)
Answer : 1976 में संघ स्तर पर लेखा और लेखा परीक्षण का अलगाव किया गया और लेखा कार्यों में महालेखा नियंत्रक को वित्त मंत्रलय के व्यय विभाग में रखा गया।
महालेखा नियंत्रक के द्वारा तैयार किये गये लेखा का परीक्षण नियंत्रक व महालेखा परीक्षक करता है। यह लोक वित्त पर संसदीय नियंत्रण का अपरिहार्य अंग है।
लेन-देन के पूर्ण होने के पश्चात लेखाओं की जांच तथा परीक्षण ही लेखा-परीक्षण कहलाता है। इस जांच का उद्देश्य किसी भी अनधिकृत, ....
Question : बजटन उपागम (budgeting approach) के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिये अनुकूल प्रोत्साहन संरचनाओं की आवश्यकता होती है। चर्चा कीजिए।
(2006)
Answer : लोक वित्त अर्थव्यवस्था का मस्तिष्क है यह दक्षता का उत्प्रेरक और नियंत्रक है। इससे राजस्व और व्यय में संतुलन बनाता है। बजट से लेखा संभव है, लेखा से लेखा परीक्षण संभव है, लेखा परीक्षण से वित्तीय जवाबदेही आती है और वित्तीय जवाबदेही से लोकतांत्रिक नियंत्रण संभव बनता है। विश्व में आज सरकार के कायों का क्षेत्र विस्तृत हो गया है। वह निजी व्यक्तियों और उद्योगों की प्रतिस्पर्धा देखने वाले केवल दर्शक नेता ही नहीं है, ....
Question : ‘बजट समन्वय का एक उपकरण है’। स्पष्ट कीजिए।
(2005)
Answer : बजट आधुनिक राज्यों में राष्ट्र की आर्थिक नीति को संचालित और नियन्त्रित करने के विशिष्ट साधनों में प्रमुख स्थान रखता है। सरकार बजट की सहायता से ही अपने कार्य का संचालन करती है तथा सार्वजनिक आय के विभिन्न ड्डोतों का अधिकतम सदुपयोग करने की योजना बनाती है। जो सरकार इस कार्य को जितनी क्षमता से करती है, वह अपने नागरिकों की आर्थिक भौतिक समृद्धि को उतनी तेजी से बढ़ाती है।
बजट के माध्यम से ही राष्ट्र ....
Question : सरकार में लेखा परीक्षण एक मरणोत्तर चेष्टा है। परीक्षण कीजिए।
(2002)
Answer : लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में सरकारी व्यय पर नियन्त्रण बनाए रखना एक कठिन व श्रमसाध्य प्रक्रिया होती है। सरकारी कोष में जमा धन जनता का धन होने के कारण उचित व पर्याप्त महत्व के प्रश्नों पर ही व्यय हो, इसके लिए लेखा परीक्षा एक आवश्यक भाग बन जाता है। भारत में इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक की व्यवस्था की गई है। जिसको विभिन्न प्रकार के कार्य सौपे गए हैं, यथा- ....
Question : सरकारी बजट का लोकनीति के एक उपकरण और विधायी नियन्त्रण के एक साधन के रूप में परीक्षण कीजिए।
(2002)
Answer : प्रशासन पर संसदीय-नियन्त्रण की दृष्टि से बजट विवादों को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। विनियोग प्रक्रिया का ऐसा सबसे अधिक व्यापक तथा व्यवस्थित साधन है, जिसके द्वारा विधान मण्डल प्रशासकीय क्रियाओं की समीक्षा करता है। बजट विवादों को एक महान वार्षिक राष्ट्रीय जांच समझा जाता है। विभिन्न विभागों से सम्बन्धित अनुदानों की मांग पर विचारों के समय, संसद, सम्पूर्ण विभाग की कार्य प्रणाली का जांच सूक्ष्म परीक्षण तथा समीक्षा से करती है।
बजट सम्बन्धी वाद-विवाद तथा ....
Question : संसदीय प्रणाली की सरकार में सांविधिक बाह्य लेखा परीक्षण, लोकतन्त्र के रक्षकों में से एक है। टिप्पणी कीजिए।
(2001)
Answer : भारत में लोक लेखा परीक्षा द्वारा प्रशासन पर नियन्त्रण बनाए रखने का प्रयास किया जाता है एवं यह संसदीय लोकतन्त्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
भारत में नियन्त्रक एवं महालेखों का पद संविधान द्वारा स्थापित किया गया हैे। भारतीय संविधान में भी इसका उल्लेख है। इस सम्बन्ध में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 में यह व्यवस्था है कि संघ तथा राज्यों के लेखा एवं लेखा परीक्षण के लिए एक स्वतन्त्र नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक होगा, जो ....
Question : बर्कहेड का कथन है ‘सरकार का बजट’ राजकोषीय नीति का वाहक और प्रबन्धन का एक साधन होता है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
(2001)
Answer : बजट एक ऐसा परिपत्र है, जिसमें सार्वजनिक राजस्व और व्यय की प्रारम्भिक योजनाएं प्रस्तुत की जाती हैं। यह सम्पूर्ण सहकारी प्राप्तियों तथा अनुमानों की एक भारी रूप-रेखा है। इसमें कुछ प्राप्तियों को संग्रहित करने एवं कुछ को व्यय करने का आदेश भी होता है। लेकिन वर्तमान जनतान्त्रिक संदर्भ में बजट प्रशासन का अर्थ आय-व्यय के लेखे मात्र से कुछ अधिक है। यह अतीत और भविष्य के बारे में ब्यौरेवार तथ्यपूर्ण कथन है और नीति सम्बन्धी ....
Question : सामाजिक-आर्थिक रूपान्तरण के साधन के रूप में बजट।
(2000)
Answer : किसी भी राष्ट्र की नीतियों का संचालन वित्त की अनुपस्थिति में सम्भव नहीं है। वित्त के द्वारा ही कोई योजना कार्यक्रम तथा नीतियां अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर पाती हैं। राष्ट्र के संसाधनों के समुचित प्रयोग तथा वित्त की पर्याप्तता सुनिश्चित करने के लिए बजट का अविर्भाव हुआ।
बजट सम्पूर्ण सरकारी प्राप्तियों तथा खर्चों का एक पूर्वानुमान तथा अनुमान है और प्राप्तियों का संग्रह करने तथा कुछ खर्चों को करने का एक आदेश है। बजट सरकार ....
Question : भारत सरकार की संघ मन्त्रलयों में निष्पादन कार्यक्रम बजटीय तकनीक को वर्तित करने में विफलता के कारणों को बताइए। भारत में आजतक किस प्रकार का बजटीय तन्त्र व्यवहार में लाया जा रहा है और क्यों?
(2000)
Answer : बजट सरकार के आय-व्यय के मध्य संतुलन एवं इससे प्राप्त उपलब्धियों का विवरण है। बजट सरकारी नीतियों के प्रतिबिम्बित करने का प्रशासनिक प्रयास होता है। बजट विगत वर्षों में कार्यपालिका द्वारा सम्पादित प्रशासनिक तथा आर्थिक कार्यों का सन्तुलित ब्यौरा है। बजट सरकारी क्रिया कलापों के संचालन के लिए आवश्यक धनराशि जुटाने तथा खर्च करने का एक व्यवस्थित मसौदा है एवं व्यवस्थापिका के समक्ष स्वीकृति के लिए पेश किए जाने के कारण नियमित रूप से कार्यपालिका ....
Question : बजट वह साधन है जिससे अनेक प्रयोजन सिद्ध होते हैं।
(1998)
Answer : वित्त को प्रशासन का जीवन रक्त कहा जाता है। पुरातन काल से ही वित्त पर ध्यान दिया जाता था। वित्त के अभाव में किसी भी प्रकार के प्रशासन की कल्पना नहीं की जा सकती है। प्राचीन विद्वान का मत है कि फ्शुप्रशासन वित्त पर ही निर्भर करती है। अतः कोषागार के प्रति सर्वाधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।य् प्रत्येक राष्ट्र की सफलता के लिए राष्ट्र की प्रशासनिक व्यवस्था में ठोस व कुशल वित्तीय प्रणाली सरकार के ....
Question : प्रशासन को उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से चलाने के राजकोषीय तकनीकी काफी समय से चली आ रहे हैं, परन्तु फिर भी उनके महत्व को पर्याप्त रूप से समझा नहीं जा रहा,’’ चर्चा कीजिये।
(1997)
Answer : राजकोष के द्वारा केन्द्र तथा राज्य सरकार दोनों की ओर से मुद्रा की प्राप्ति तथा उसके व्यय का कार्य निष्पादन प्रतिदिन किया जाता है तथा दोनों के लिखित अभिलेखों को भी अलग-अलग व्यवस्थित किये जाते हैं। उप राजकोषों द्वारा भी प्रतिदिन अपने लिखित अभिलेख जिला राजकोष को भेजे जाते हैं, जहां इन्हें व्यवस्थित किया जाता है। प्रत्येक एक पखवाडे़ के पश्चात जिला राजकोष अपने विवरणों को राज्य के महालेखपाल के पास सम्प्रेषित करता है। प्रत्येक ....