Question : सूचना के अधिकार के विधिक और राजनीतिक निहितार्थो पर चर्चा कीजिए। क्या विकासशील देशों में यह एक साध्य संकल्पना है?
(2004)
Answer : आधुनिक सूचना क्रांति के युग में सूचना के अधिकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को सुनिश्चित करने हेतु अनिवार्य माना जाता है। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकारी कामकाज को पारदर्शी बनाने के लिए जनता को सूचना का अधिकार देने का व्यापक महत्व है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा जारी विश्व घोषणा में विभिन्न शीषकों के अंतर्गत सौ से अधिक की मानवाधिकारों की सूची दी गई। इस सूची में नागरिक एवं राजनैतिक अधिकारों के अंतर्गत ....
Question : ‘नागरिकों का चार्टर’ प्रशासन के ग्राहकोन्मुखन की प्रोन्नति के संदर्भ में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण नवाचार है। चर्चा कीजिए।
(2003)
Answer : सरकार द्वारा नागरिक चार्टर की शुरुआत 1996-97 में आरंभ हुई। नागरिक चार्टर के प्रावधानों में प्रशासन को पारदर्शी, कुशल, ईमानदार तथा नैतिक, स्पष्ट, लिखित, निरंतर सूचना उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है, जिससे प्रशासन को स्वच्छ और पारदर्शी बनाया जा सके। इन चार्टरों में जनता को दी जाने वाली सेवाओं के साथ-साथ संगठन की वचन बद्धता, सेवा डिलीवरी के प्रत्याशित मानकों, समय सीमाओं, शिकायत-निवारण तंत्र आदि की व्याख्या की जाती है। ये जनता की ....
Question : सभ्य समाज यह सुनिश्चित करने के लिए विद्यमान है कि सरकार अच्छा शासन प्रदान करे। चर्चा कीजिए।
(2002)
Answer : सभ्य समाज या नागरिक समाज विभिन्न प्रकार से सरकार पर नियंत्रणकारक की भूमिका निभाता है। किसी भी प्रकार से राजव्यवस्था में नागरिक समाज की उपस्थिति उस व्यवस्था को जीवन्तता प्रदान करती है तथा उसे विकास के विभिन्न कार्यों को पूरा करने को प्रेरित करती है। सभ्य समाज से तात्पर्य है कि राज्य और उसकी शक्ति के बिना नागरिक परस्पर संगठित होकर स्वप्रेरणा और सौहार्द्र से उन विकासात्मक कार्यों को पूरा करें जिन्हें आमतौर से राज्य ....
Question : भारत के प्रशासनिक तंत्र की सबसे कमजोर पक्ष जवाबदेही की परम अवहेलना है। जवाबदेही लागू करने के वर्तमान यांत्रिकत्व की परीक्षा कीजिए। इसको अधिक प्रभावी बनाने के लिए कौन से कदम आवश्यक हैं।
(2000)
Answer : यद्यपि किसी भी सरकार का प्रारूप राज्य की राजनीति के प्रकार से उसी सीमा तक प्रभावित होते हुए तैयार होती हैं, जिस सीमा तक उसकी अभिव्यक्ति की विधि की रूपरेखा। फिर भी जवाबदेही प्रत्येक सरकार के केन्द्र में हुआ करती है, वस्तुतः जवाबदेही के राजनीतिक और प्रशासनिक दो पक्ष हैं।
भारत की संसदात्मक प्रणाली व्यवस्था कार्यपालिका का उस संसद के प्रति जवाबदेह है, जिसके सदस्यों का चुनाव सार्वजनिक मताधिकार के आधार पर किया जाता है। भारत ....
Question : ‘प्रशासन पर कार्यपालिका का नियन्त्रण कहीं अधिक वास्तविक है।‘
(1998)
Answer : किसी भी देश की कार्यपालिका का रूप वहां की संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप निर्धारित होता है। कार्यपालिका विधायिका द्वारा बनाये गये कानून को क्रियान्वित करती है। सरकारी अधिकारी जब नागरिकों के संवैधानिक या मौलिक अधिकारों पर अतिक्रमण करते हैं तो न्यायपलिका उनकी रक्षा करती है। कार्यपालिका के हाथों में प्रशासनिक सत्ता होती है। प्रजातंत्रीय समाज में शक्ति पर नियंत्रण आवश्यक है, शक्ति जितनी अधिक है, नियंत्रण की भी उतनी आवश्यकता होगी। विभिन्न प्रशासनिक विभागों एवं ....
Question : ‘विधानमण्डल द्वारा प्रशासन पर लगाए जाने वाले नियन्त्रण संक्षेप में, व्यवहारिक प्रभाविता की अपेक्षा सैद्धान्तिक प्रभाविता के अघिकार हैं।
(1997)
Answer : संसदीय व्यवस्था में सर्वसम्मति से अंगीकार कर लिया गया है, कि संसद का एक महत्वपूर्ण कार्य प्रशासन पर नियन्त्रण रखना है अर्थात सरकार के कार्यों पर, चाहे वह संभावित हो या सम्पादित, संसद को अपनी राय एवं सहमति व्यक्त करने का अधिकार है।
लोक प्रशासन में नियंत्रण की समस्या का अध्ययन विधायी नियंत्रण, कार्यपालिका नियंत्रण, न्यायिक नियंत्रण, जन नियंत्रण, आन्तरिक नियंत्रण शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है।
संसद द्वारा अनुमोदित सरकार की नीतियों को कार्यरूप प्रदान ....