सामान्य अधययन दृष्टिकोण विशेषांक-4
भारतीय इतिहास एवं संस्कृति
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन: संगठन और उनके नेता - (January 2024)
भारत के राष्ट्रीय आंदोलन उन उल्लेखनीय संघर्षों की जीवंत कहानी है, जिसने हमारे देश को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट किया। ये आंदोलन स्वतंत्रता व समानता की अटूट भावना का उदाहरण है, जो स्वतंत्रता की दिशा में भारत के मार्ग को आकार देते हैं। आधुनिक भारत में विभिन्न संगठन एवं उनके
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी - (January 2024)
ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष को कई महिला स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान से चिह्नित किया जा सकता है। इन महिलाओं ने सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने के साथ-साथ, राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं का योगदान असहयोग आंदोलन (1920): महिलाओं ने
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में प्रेस का विकास - (January 2024)
16वीं शताब्दी के पश्चात भारत में प्रेस का विकास शुरू होता है। पुर्तगाली भारत में प्रेस मशीन की स्थापना करने वाले पहले यूरोपियन थे। अंग्रेजों ने 1684 में भारत में प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की। जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने 1980 को द बंगाल गजट नाम से भारत का पहला अखबार शुरू
ब्रिटिश काल में सामाजिक सुधार के लिए उठाए गए कदम - (January 2024)
19वीं सदी में भारत में देश के विभिन्न हिस्सों में सुधार आंदोलनों की एकश्रृंखला देखी गई। ये आंदोलन आधुनिक तर्ज पर भारतीय समाज के पुनर्गठन की ओर उन्मुख थे। बंगाल सती विनियमन, 1829इसे गवर्नर-जनरल की काउंसिल द्वारा पारित किया गया था। यह ब्रिटिश भारत में सती प्रथा पर रोक लगाने से
ब्रिटिश भू-राजस्व प्रणाली - (January 2024)
भारत में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना के साथ ही अपने हितों के अनुकूल करने के लिए नई नीतियों की तत्काल आवश्यकता महसूस हुई। परिणामस्वरूप उन्होंने जमींदारी, रैयतवाड़ी और महालवाड़ी नामक भू-राजस्व की तीन प्रणालियों को देश मे लागू किया। जमींदारी प्रणालीः इस प्रणाली की शुरुआत लॉर्ड कार्नवालिस ने 1793 में
भारत में महिला आंदोलन - (January 2024)
भारत में महिला आंदोलन देश के प्रमुख सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रुझानों के लिए चुनौती पेश करता है। भारत में रहने वाली महिलाओं की लगभग 150 वर्ष की यात्र तथा उनके सामूहिक लक्ष्य और असमान अनुभव, प्रेरणा तथा गतिरोध, विरोध और समझौते, उपलब्धियां और विफलताओं की एक झांकी है। इसने तीन
ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल और वायसराय: प्रमुख घटनाएं - (January 2024)
31 दिसंबर, 1600 को महारानी एलिजाबेथ प्रथम से रॉयल चार्टर प्राप्त होने के उपरांत ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में एक व्यापारिक इकाई के रूप में प्रवेश किया और धीरे-धीरे ब्रिटिश उपनिवेश की स्थापना की। भारत 200 वर्षों से अधिक समय तक ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अधीन था और इस अवधि
किसान एवं जनजातीय आंदोलन - (January 2024)
भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना के परिणामस्वरूप कृषकों तथा जनजातियों को विभिन्न प्रकार की नई परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही कृषकों तथा जनजातियों पर विभिन्न प्रकार के कर आरोपित किए गए, जिसके परिणामस्वरूप इनके द्वारा विभिन्न विद्रोह किए गए। कोल विद्रोह (1831-32): कोल भारत में छोटानागपुर
भारत में आधुनिक राष्ट"वाद का उदय - (January 2024)
भारतीय राष्ट्रवाद औपनिवेशिक नीतियों के परिणामस्वरूप और औपनिवेशिक नीतियों की प्रतिक्रिया के रूप में विकसित हुआ। वास्तव में, भारतीय राष्ट्रवाद को विभिन्न कारकों के संगम के परिणाम के रूप में देखना अधिक व्यावहारिक होगा। राष्ट्रवाद क्या है?राष्ट्रवाद एक विचार के प्रति समर्पण है, जिसमें यह विश्वास एवं आस्था होती है कि
भारत में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विश्व धारोहर स्थल: मुख्य विशेषताएं - (January 2024)
विरासत स्थल वे स्थान हैं, जिनका महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक या प्राकृतिक मूल्य है, जिसके कारण इन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाता है। इन स्थलों में इमारतें, स्मारक, प्राकृतिक परिदृश्य और पुरातात्विक स्थल शामिल हैं, जो मानव इतिहास या संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। विरासत स्थलों को
भारत की प्रमुख युद्ध कलाएं - (January 2024)
प्राचीन काल से ही भारत में विभिन्न युद्ध कलाएं प्रचलित हैं तथा वर्तमान में ये भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग बन गई हैं। इनमें से कुछ कलाएं अप्रचलित हो गई हैं और कुछ लोगों के द्वारा ही इनके संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। कलारीपयट्टू: यह केरल की
भारत की लोक चित्रकला - (January 2024)
लोक चित्रकला चित्रत्मक रूप में लोगों के एक विशिष्ट समूह द्वारा साझा की गई सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है, इसमें उस संस्कृति, उपसंस्कृति या समूह की विशिष्ट परंपराएं शामिल होती हैं। सहस्राब्दियों से लोक चित्रकलाएं भारत की परंपराओं का अभिन्न अंग रही हैं। भारत की लोक चित्रकलाएंमधुबनी/मिथिला पेंटिंग मधुबनी पेंटिंग या मिथिला पेंटिंग बिहार
द्रविड़ मंदिर वास्तुकला - (January 2024)
द्रविड़ मंदिर वास्तुकला, एक हिंदू मंदिर वास्तुकला उदहारण है जिसकी उत्पत्ति दक्षिणी भारतीय उपमहाद्वीप, विशेष रूप से दक्षिण भारत और श्रीलंका में हुई तथा सोलहवीं शताब्दी में अपने शिखर पर पहुंची। वर्तमान निर्माणों का बड़ा हिस्सा दक्षिणी भारतीय राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना में पाया जाता है। द्रविड़ मंदिर
मराठा साम्राज्य: आर्थिक व प्रशासनिक व्यवस्था - (January 2024)
दक्कन के इतिहास की एक प्रमुख घटना मराठों के प्रभुत्व का विकास था। 18वीं शताब्दी के दौरान, मराठा साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करने के लिए विकसित हुआ। भोंसले राजवंश के शिवाजी का 1674 में छत्रपति के रूप में ताजपोशी हुआ, जो मराठा शक्ति की आधिकारिक
विजयनगर साम्राज्य: प्रशासन, सामाजिक-आर्थिक स्थितियां एवं सांस्कृतिक योगदान - (January 2024)
विजयनगर साम्राज्य, एक महत्वपूर्ण दक्षिण भारतीय साम्राज्य था, जिसकी स्थापना हरिहर प्रथम तथा उसके भाई बुक्का प्रथम द्वारा की गई थी। साम्राज्य की राजधानी विजयनगर (वर्तमान कर्नाटक में हम्पी) थी। विजयनगर साम्राज्य ने 1336 ई. से 1646 ई. तक शासन किया, हालांकि 1565 ई. में तालीकोटा (राक्षसतंगड़ी) की लड़ाई के
मुगल काल में दृश्य कला का विकास - (January 2024)
मुगल पेंटिंग की उत्पत्ति को भारत में चित्रकला के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है। मुगल साम्राज्य की स्थापना के साथ, 1560 ई. में अकबर के शासनकाल में मुगल चित्रकला शैली की शुरुआत हुई, जो चित्रकला और वास्तुकला की कला में गहरी रुचि रखता था। मुगल शैली,
मधयकालीन भारत में धार्मिक संप्रदाय/आंदोलन - (January 2024)
मध्यकाल में विभिन्न धर्म जैसे हिंदू धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, ईसाई धर्म और पारसी धर्म भारत में मौजूद थे। इस काल में मुस्लिम शासकों के आगमन ने धार्मिक क्षेत्र में नवीन तत्वों को जन्म दिया; जिसकी परिणति भक्ति आन्दोलन व सूफी आंदोलन में हुई। भक्ति आन्दोलन और
भारतीय दर्शन: महत्वपूर्ण विचार एवं संप्रदाय - (January 2024)
प्राचीन भारतीय दर्शन का आरम्भ वेदों से होता है। वेद भारतीय धर्म, दर्शन, संस्कृति, साहित्य आदि सभी के मूल स्रोत हैं। वर्तमान में भी धार्मिक एवं सांस्कृतिक कृत्यों के अवसर पर वेद-मंत्रों का गायन होता है। अनेक दर्शन-संप्रदाय वेदों को अपना आधार और प्रमाण मानते हैं। उत्तर वैदिक काल में रचित
प्राचीन भारत में वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास - (January 2024)
विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने मानव समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसा माना जाता है कि भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मेहरगढ़ (अब पाकिस्तान में) से शुरू हुई और पूरे देश के इतिहास में जारी रही। प्राचीन काल में शल्य चिकित्सा एवं आयुर्वेद भारतीय चिकित्सा पद्धति के विषय में सर्वप्रथम लिखित
प्राचीन काल के प्रमुख विद्वान एवं साहित्यिक कृतियां - (January 2024)
प्राचीन काल अपार ज्ञान और सांस्कृतिक विकास का समय था। प्राचीन साहित्य वैज्ञानिक और धार्मिक ग्रंथों, कहानियों, कविताओं, नाटकों, शाही उद्घोषणाओं तथा बहुत कुछ का एक विविध संग्रह था। प्राचीन काल की विभिन्न साहित्यिक कृतियां एवं उनके रचनाकारों का उल्लेख निम्नलिखित है- साहित्यिक कृतियां
संगम युगः समाज, प्रशासन और साहित्य - (January 2024)
संगम युग दक्षिण भारत के इतिहास में सामान्यतः तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी के बीच की अवधि को संदर्भित करता है। इस अवधि के दौरान प्रमुख राजनीतिक इकाइयां राजाओं द्वारा शासित कई छोटे राज्य थे। चेर, चोल, पांडड्ढ सबसे महत्वपूर्ण शक्तियां थीं। इस युग की जानकारी का
गुप्त साम्राज्य: अर्थव्यवस्था, समाज एवं धर्म - (January 2024)
प्राचीन भारत में गुप्त साम्राज्य को भारतीय सभ्यता के उच्च बिंदुओं में से एक माना जाता है। यह काल न केवल भारतीय इतिहास के महान साम्राज्य में से एक का काल था, बल्कि यह कला, साहित्य और विज्ञान में महान उपलब्धियों का भी काल था। यह भारतीय सभ्यता में परिवर्तन का
प्राचीन भारत में गणराज्य - (January 2024)
वैदिक भारत के पितृसत्तात्मक-लोकतांत्रिक ‘मुकुटधारी गणराज्यों’, के साथ ही ऐतरेय ब्राह्मण में वर्णित वैराज्य या राजा रहित राज्यों के अतिरिक्त कुल-संघों और गणों को अर्थशास्त्र में एवं महाभारत में वर्णित राष्ट्रीयताओं को ‘समानता’ के सिद्धांत पर गठित होने के कारण ‘अजेय’ के रूप में संदर्भित किया गया है। प्राचीन भारत में
महाजनपद: महत्वपूर्ण साम्राज्य, अर्थव्यवस्था एवं प्रशासन - (January 2024)
महाजनपद काल (600 ईसा पूर्व) को दूसरे शहरीकरण का काल भी माना जाता है, क्योंकि महाजनपदों के विशाल विस्तार की स्थापना शहरी विकास और लौह उपकरणों के उपयोग द्वारा की गई थी। आर्थिक एवं राजनीतिक केंद्र भारत के उत्तर-पश्चिमी से पूर्वी प्रांतों (मुख्य रूप से बिहार) में स्थानांतरित हो गया
उत्तर वैदिक काल के दौरान धर्म और धार्मिक परंपराएं - (January 2024)
उत्तर वैदिक काल 1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक की अवधि को संदर्भित करता है, जब आर्यों का विस्तार पूर्व की ओर होना प्रारंभ हुआ तथा वर्तमान समय के पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार तक का क्षेत्र इनकी परिधि में सम्मिलित हो गया। उत्तर
राजव्यवस्था एवं संविधान
भारत में नये राज्यों का गठन - (January 2024)
भारत में नए राज्यों का गठन संविधान के अनुच्छेद 2, 3 और 4 के प्रावधानों के तहत किया जाता है। ध्यान रहे कि संविधान भारत के किसी राज्य को नए राज्यों के गठन पर कोई अधिकार नहीं है। राज्य का विधान मण्डल एक प्रस्ताव पारित कर केवल संसद को अपने
लोकपाल और लोकायुक्तः शक्तियां, कार्य और सीमाएं - (January 2024)
भारत में केंद्र सरकार तथा राज्य स्तर पर क्रमशः लोकपाल और लोकायुक्त का प्रावधान लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 (Lokpal and Lokayukta Act, 2013) के तहत की गई हैं। लोकपाल और लोकायुक्त अपने-अपने क्षेत्रधिकार में ‘ओमबुडसमैन’ (Ombudsman) की भूमिका निभाते हैं। वे कुछ निश्चित सार्वजनिक निकायों/संगठनों के खिलाफ भ्रष्टाचार के
स्पीकर बनाम राज्यपालः शक्तियों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान - (January 2024)
हाल के वर्षों में ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं, जब सदन के स्पीकर तथा राज्य के राज्यपाल के बीच विभिन्न मामलों पर गतिरोध की स्थिति देखने को मिली है। राज्यपाल और स्पीकर के बीच सदन में सरकार के बहुमत साबित करने के संबंध में कानूनी-राजनीतिक विवाद बढ़ा है। परिणामस्वरूप
निर्वाचन आयोगः शक्तियां और सीमाएं - (January 2024)
भारतीय संविधान का भाग 15 मे अनुच्छेद 324 से 329 तक निर्वाचन आयोग से संबंधित विविध प्रावधान किए गए हैं। संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत देश में चुनावों के संचालन के लिये एक आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान का प्रयोग कर चुनाव आयोग की स्थापना
केंद्रीय जांच एजेंसियां एवं इनके कार्य - (January 2024)
केंद्रीय जांच एजेंसियों की शक्तियां देश सुरक्षा में वृद्धि करके देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। भारत में केन्द्रीय जांच एजेंसियों में राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी केंद्र (NCTC), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency - NIA), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (Narcotics Control Bureau - NCB), राजस्व
उपभोक्ता विवाद निवारण तंत्र - (January 2024)
भारत सरकार द्वारा उपभोक्ता विवादों के तेजी से और सौहार्द्रपूर्ण तरीके से समाधान के लिए एक तंत्र की स्थापना की गई है। यह विवाद समाधान तंत्र उपभोक्ताओं से संबंधित विवादों को इस प्रकार से समाधान उपलब्ध कराता है कि दोनों पक्षों की सहमति हो सके। इससे न सिर्फ विवाद में
भारत में किशोर न्याय प्रणाली - (January 2024)
भारत में किशोर न्याय प्रणाली 18 वर्ष से कम उम्र के वैसे बच्चों से संबंधित है, जिन्होंने किसी प्रकार से कानून का उल्लंघन किया है तथा उन्हें किसी भी प्रकार की देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकता होती है। ध्यान रहे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 82 के तहत 7 वर्ष
भारत में प्रमुख वित्तीय नियामक निकाय - (January 2024)
भारतीय अर्थव्यवस्था एक मजबूत वित्तीय प्रणाली और कार्यक्षमता के आधार पर तेजी से आगे बढ़ रही है। भारतीय आर्थिक प्रणाली में परिवर्तनशील निकाय हैं तथा ये नियामक निकाय अपने क्षेत्र से संबंधित विनियमन के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करते हैं। भारतीय विनियमन प्रणाली वित्तीय प्रणालियों को बनाए रखते हैं और वित्त
संसद के प्रति कार्यपालिका का सामूहिक उत्तरदायित्व - (January 2024)
संसदीय प्रणालियों में एक संवैधानिक परंपरा है कि कार्यपालिका के सदस्यों को कैबिनेट में किए गए सभी सरकारी निर्णयों का सार्वजनिक रूप से समर्थन करना चाहिए, भले ही वे निजी तौर पर उनसे सहमत न हों। इस समर्थन में विधायिका में सरकार के लिए मतदान शामिल है। यदि मंत्रिमंडल का
लोक सभा की विशिष्ट शक्तियां - (January 2024)
लोक सभा भारतीय संसद का निम्न सदन कहा जाता है, जिसमें लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि विधि निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेते हैं। भारतीय संविधान में कुछ विशेष प्रकार के प्रावधान किए गए हैं, जो लोक सभा को अपने कार्यों के संचालन में सहायक होते हैं। इनमें से कुछ विशिष्ट
संसदीय एवं विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन - (January 2024)
परिसीमन का शाब्दिक अर्थ है किसी देश या प्रांत में विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की क्रिया या प्रक्रिया। लोक सभा और राज्य विधानसभा सीटों परिसीमन का मुख्य उद्देश्य जनसंख्या के समान खंडों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान करना है। इस प्रक्रिया का लक्ष्य भौगोलिक क्षेत्रों
भारत में निःशुल्क विधिक सहायता - (January 2024)
भारत के संविधान का अनुच्छेद 39 ए समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने के लिए समाज के गरीबों और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करता है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 22(1) भी राज्य के लिए कानून के समक्ष समानता सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाते हैं। कानूनी
निवारक हिरासत व संवैधानिक सुरक्षा उपाय - (January 2024)
भारत में निवारक निरोध का तात्पर्य किसी व्यक्ति को बिना किसी मुकदमे या औपचारिक आरोप के हिरासत में लेने, उसे अपराध करने या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक तरीके से कार्य करने से रोकने की राज्य की शक्ति से है। भारत का संविधान अनुच्छेद 22 के तहत कुछ प्रक्रियात्मक सुरक्षा
वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र - (January 2024)
मध्यस्थता, सुलह अथवा बातचीत के माध्यम से अदालतों में जाए बिना विवादों को हल करने की प्रक्रिया को वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) के रूप में जाना जाता है। पक्षकारों के मध्य बातचीत के माध्यम से, एडीआर का लक्ष्य विवादों को हल करना है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन- वी- रमन्ना के
संसदीय लोकतंत्रः भारतीय और ब्रिटिश मॉडल के बीच तुलना - (January 2024)
संसदीय लोकतंत्र (Parliamentary Democracy) सरकार का एक लोकतांत्रिक रूप है तथा सरकार का नेता प्रधानमंत्री को बनाया जाता है; जिसमें कोई एक दल अथवा कुछ दलों का गठबंधन संसद विधायिका में सर्वाधिक प्रतिनिधित्व की सहायता से सरकार बनाता है। एक संसदीय लोकतंत्र में, सरकार को सदैव संसद का विश्वास बनाए
भारत में डिजिटल मीडिया का विनियमन - (January 2024)
डिजिटल मीडिया एक मशीन-पठनीय (Machine-Readable) प्लेटफॉर्म के माध्यम से एन्क्रिप्टेड (encrypted) सामग्री को बनाने, वितरित करने, देखने और संगृहीत करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर ऑनलाइन स्पेस को संदर्भित करता है। डिजिटल मीडिया विभिन्न उत्पाद उपलब्ध कराता है। इसके विविध रूपों को वीडियो, एनीमेशन, ई-कॉमर्स, वेबसाइटों, मोबाइल एप्लिकेशन, डेटा विजुअलाइजेशन और
भारत में एसडीजी का स्थानीयकरण - (January 2024)
2015 में अपनाए गए 17 सतत विकास लक्ष्यों (SDG's) ने विकास एजेंडे में एक आदर्श बदलाव को चिह्नित किया है। 2030 की समय सीमा नजदीक आने के साथ, एसडीजी के ‘स्थानीयकरण’ की दिशा में एक वैश्विक बदलाव आया है। सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को आधिकारिक तौर से ‘ट्रांसफॉर्मिंग आवर वर्ल्ड: एजेंडा
गोपनीयता एवं डेटा सुरक्षा का अधिकार - (January 2024)
डेटा सुरक्षा के अधिकार में किसी की व्यक्तिगत सूचना के अनधिकृत उपयोग या प्रकटीकरण से मुक्त होने का अधिकार शामिल है। डेटा सुरक्षा के अधिकार में किसी की व्यक्तिगत जानकारी के संग्रह, उपयोग और प्रकटीकरण के बारे में सूचित होने का अधिकार भी शामिल है। साथ ही, निजता के अधिकार का
ई-गवर्नेंस: अनुप्रयोग एवं पहल - (January 2024)
सरकारी सेवाओं को प्रदान करने एवं सुविधाजनक बनाने तथा सूचनाओं के आदान-प्रदान, संचार लेनदेन और विभिन्न स्टैंडअलोन प्रणालियों एवं सेवाओं के एकीकरण के लिए सरकार द्वारा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के उपयोग को इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस या ई-गवर्नेंस कहा जाता है। यह सरकार के कार्यों को पूरा करने और शासन के
व्यक्तिगत मानवाधिकार - (January 2024)
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के अनुसार, मानवाधिकार वे अधिकार हैं, जो हमारे पास सिर्फ इसलिए हैं क्योंकि हम मानव के रूप में अस्तित्वान हैं। ये किसी भी राज्य द्वारा प्रदान नहीं किए जाते हैं। राष्ट्रीयता, लिंग, राष्ट्रीय या जातीय मूल, रंग, धर्म, भाषा या किसी अन्य स्थिति की परवाह किए बिना,
न्यायाधीशों का सुनवाई से खुद को अलग करना - (January 2024)
न्यायाधीशों द्वारा किसी न्यायिक मामले से अलगाव (Judicial Recusal) तब होता है, जब कोई न्यायाधीश हितों के टकराव या पूर्वाग्रह की उचित आशंका के कारण किसी मामले से स्वयं को अलग कर लेता है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि मामले का निर्णय निष्पक्ष रूप से
विधायी शक्ति का वितरण - (January 2024)
संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को राज्यों का संघ (Union of states) बताया गया है। संघीय संविधान की मुख्य विशेषता केंद्र एवं राज्यों के मध्य शक्तियों का वितरण है। भारतीय संविधान भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक नए प्रकार के संघवाद का प्रावधान करता है। विधायी शक्तियां
एमिनेंट डोमेन का सिद्धांत - (January 2024)
एमिनेंट डोमेन सिद्धांत या ‘निजी संपत्ति के सार्वजनिक उपयोग हेतु रूपांतरण के सिद्धांत’ की उत्पत्ति लैटिन शब्द ‘एमिनेंशिया’ से हुई है, यह शब्द ‘श्रेष्ठ आधिपत्य’ को संदर्भित करता है, जिसे सरकार अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर सभी संपत्तियों पर प्रयोग करती है। ‘निजी संपत्ति के सार्वजनिक उपयोग हेतु रूपांतरण का सिद्धांत’
न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण - (January 2024)
भारत में न्यायिक प्रणाली तीन स्तरों में व्यवस्थित है, यथा सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं अधीनस्थ न्यायालय। भारतीय संविधान केंद्र एवं राज्यों के मध्य शक्तियों के पृथक्करण के साथ-साथ एक स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली की गारंटी देता है। जिला न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति योग्यता: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 233 जिला न्यायाधीशों की
प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत - (January 2024)
जस नेचुरल (Jus Naturale) प्राकृतिक न्याय (Natural Justice) के आधुनिक सिद्धांत के समतुल्य रोमन विधि है। हालांकि यह सामान्य विधि (Common Law) और कई नैतिक प्रथाओं (Moral Practices) के साथ निकटता से सम्बंधित है, लेकिन विधि की किसी भी शाखा द्वारा इसकी सटीक व्याख्या नहीं की गई है। प्राकृतिक न्याय