सामान्य अधययन दृष्टिकोण विशेषांक-5
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी
भारत में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधान - (February 2024)
जैव-चिकित्सा अपशिष्ट कोई भी ऐसा अपशिष्ट है, जिसमें संक्रामक या संभावित संक्रामक सामग्री होती है। ये अपशिष्ट मनुष्यों एवं पशुओं के निदान, उपचार और टीकाकरण के दौरान उत्पन्न होते हैं। बायोमेडिकल अपशिष्ट ठोस और तरल दोनों रूपों में हो सकता है। बायोमेडिकल अपशिष्ट के उदाहरणों में शामिल हैं: बेकार नुकीले उपकरण जैसे
भारत में चक्रवात की तैयारी और पूर्व चेतावनी प्रणाली - (February 2024)
चक्रवात कोई भी कम दबाव वाला क्षेत्र होता है, जिसके आस-पास तीव्र गति से केंद्र की तरफ वायु परिसंचरण होता हैं। चक्रवात उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त घूमते हैं। चक्रवात बनने और तीव्र होने की प्रक्रिया को साइक्लोजेनेसिस कहा जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने
भारत में स्वच्छ शहरी गतिशीलता पहल - (February 2024)
भारत अपने तेजी से बढ़ते शहरी क्षेत्रों में भीड़भाड़, प्रदूषण और अस्थिर परिवहन प्रथाओं की चुनौतियों का समाधान करने के लिए स्वच्छ शहरी गतिशीलता पहल को लागू करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। परिवहन के टिकाऊ और स्वच्छ तरीकों को बढ़ावा देने के लिए कई
पर्यावरण शासनः भारत में संगठन - (February 2024)
भारत में पर्यावरण शासन में सरकारी एवं गैर-सरकारी दोनों तरह के विभिन्न संगठनों की एक जटिल परस्पर क्रिया शामिल है, जो प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन और पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में काम करते हैं। भारत में पर्यावरण शासन में शामिल कुछ प्रमुख संगठन इस प्रकार हैं: पर्यावरण, वन और
जलवायु प्रत्यास्थ कृषि: प्रमुख पहलें - (February 2024)
जलवायु प्रत्यास्थ कृषि को यदि हम सामान्य अर्थ में समझें, तो इसे जलवायु अनुकूल कृषि के रूप में समझा जा सकता है; अर्थात ऐसी कृषि जो परिवर्तनशील जलवायु के अनुसार स्वयं को अनुकुलित कर सके। जलवायु प्रत्यास्थ कृषि एक दृष्टिकोण है, जिसमें जलवायु परिवर्तनशीलता के तहत दीर्घकालिक उच्च उत्पादकता और कृषि
EIA : भारत में तंत्र और प्रक्रिया - (February 2024)
पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment-EIA) किसी प्रस्तावित परियोजना या विकास के संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन करने की एक प्रक्रिया है। किसी भी गतिविधि या परियोजना के कारण पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव की भविष्यवाणी करने और उसे रोकने के लिए EIA एक आवश्यक उपकरण है। ईआईए लाभकारी और प्रतिकूल
आर्द्रभूमि संरक्षणः कानून, अभिसमय और अन्य पहल - (February 2024)
आर्द्रभूमि (Wetlands) ऐसे क्षेत्र हैं; जहां पानी, पौधों और जानवरों के जीवन के साथ-साथ आस-पास के पारिस्थितिक तंत्र को विनियमित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। रामसर कन्वेंशन आर्द्रभूमि को दलदल, पीटलैंड या पानी, चाहे वह प्राकृतिक हो या कृत्रिम, स्थायी या अस्थायी, पानी स्थिर हो या बह रहा हो,
भारत में भूमि निम्नीकरणः कारण, प्रभाव और पहल - (February 2024)
भूमि निम्नीकरण से तात्पर्य भौतिक, रासायनिक या जैविक कारकों के कारण भूमि की उत्पादकता के अस्थायी (Temporary) या स्थायी अधःपतन (Permanent Degeneration) होने से है। भूमि निम्नीकरण मानवीय एवं प्राकृतिक दोनों कारणों से होता है। यह मानवीय गतिविधियों में भूमि की अधारणीय उपयोगिता, कृषि रसायनों के अत्यधिक उपयोग आदि के कारण होता
महासागरीय अम्लीकरणः कारण एवं प्रभाव - (February 2024)
महासागरीय अम्लीकरण (Ocean Acidification) एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जो समुद्री जीवन और उस पर निर्भर लोगों को प्रभावित करती है। यह वायुमंडल में अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के कारण होता है, जो समुद्र में घुल जाता है, जिससे पानी अधिक अम्लीय हो जाता है। महासागरीय अम्लीकरण को ‘ग्लोबल वार्मिंग
भारत में प्लास्टिक प्रदूषण: रोकथाम के प्रयास - (February 2024)
प्लास्टिक प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में प्लास्टिक कचरे के संचय से है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र, वन्य जीवन, मानव स्वास्थ्य और समग्र पारिस्थितिक संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के बदले में, भारत ने 2018 में एकल-उपयोग प्लास्टिक को खत्म करने के लिए ‘प्लास्टिक अपशिष्ट-मुक्त भारत’ अभियान
पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रः निषिध्द, विनियमित और अनुमत गतिविधिायां - (February 2024)
इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) भारत में संरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास के क्षेत्रों को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC), भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाता है। पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) कुछ प्रजातियों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने
समुद्री शैवाल - विशेषताएं, आवास और उपयोग - (February 2024)
समुद्री शैवाल, शैवाल का एक विविध समूह है, जो आमतौर पर महासागरों तथा खारे पानी के अन्य निकायों में पाए जाते हैं। वे वनस्पति जगत से संबंधित हैं और आकार, रूप एवं रंग में भिन्न हो सकते हैं। समुद्री शैवालों की हजारों विभिन्न प्रजातियां हैं और वे समुद्री पारिस्थितिक तंत्र
प्रतिपूरक वनीकरणः भारत में पहलें - (February 2024)
प्रतिपूरक वनीकरण (CA) भारत में एक प्रथा है, जहां बुनियादी ढांचे के विकास, खनन या कृषि जैसे गैर-वन उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली वन भूमि के नुकसान की भरपाई के लिए गैर-वन भूमि पर वनीकरण किया जाता है। इसका उद्देश्य वनों की कटाई के नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभावों को
भारत में जैव विविधाता हॉटस्पॉटः स्थानिक प्रजातियां और खतरे - (February 2024)
‘हॉटस्पॉट’ शब्द, प्रचुर जैव विविधता, प्रजातियों की उच्च स्थानिकता और महत्वपूर्ण भेद्यता के कारण संरक्षण के लिए उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रें का वर्णन करता है। जैव विविधता के हॉटस्पॉट वे स्थान हैं, जहां स्वदेशी प्रजातियों की उच्च सांद्रता होती है। हॉटस्पॉट को सबसे पहले कंजर्वेशन इंटरनेशनल द्वारा परिभाषित और प्रचारित किया
जैव विविधाता संरक्षणः विधिायां और रणनीतियां - (February 2024)
पारिस्थितिक संतुलन और विविधता को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के उचित प्रबंधन को जैव विविधता संरक्षण कहा जाता है। इसमें वर्तमान पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का बुद्धिमानी से उपयोग करना शामिल है, जबकि भविष्य की पीढि़यों के लिए पर्याप्त संसाधनों को छोड़ना
प्रवाल विरंजन: कारण एवं प्रभाव - (February 2024)
प्रवाल विरंजन एक ऐसी घटना है, जिसमें जूजेथेली नामक सहजीवी शैवाल के निष्कासन के कारण प्रवाल अपना जीवंत रंग खो देते हैं। ये शैवाल प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से प्रवालों को पोषक तत्व प्रदान करते हैं तथा उन्हें उनका विशिष्ट रंग प्रदान करते हैं। प्रवाल, कठोर संरचना वाले चूना प्रधान जीव
भारत की विकार्बनीकरण पहल - (February 2024)
विकार्बनीकरण (Decarbonization) से तात्पर्य अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी से है, जो जलवायु परिवर्तन को कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है। विकार्बनीकरण वायुमंडल में भेजे जाने वाले कार्बन, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा को कम करने की
मीथेन उत्सर्जन: स्रोत, प्रभाव एवं पहल - (February 2024)
मीथेन (CH4) एक हाइड्रोकार्बन है तथा प्राकृतिक गैस का प्राथमिक घटक है। यह एक ग्रीनहाउस गैस (GHG) है, इसलिए वायुमंडल में इसकी उपस्थिति पृथ्वी के तापमान एवं जलवायु प्रणाली को प्रभावित करती है। मीथेन एक रंगहीन, गंधहीन तथा अत्यधिक ज्वलनशील गैस है। कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बाद मीथेन दूसरा सबसे प्रचुर
ओजोन क्षयकारी पदार्थ - (February 2024)
ओजोन परत क्षरण समतापमंडलीय ओजोन परत का रासायनिक विनाश है, जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण नहीं होता है। प्राकृतिक चक्र लगातार समताप मंडल में ओजोन का निर्माण तथा क्षरण करते रहते हैं। हालाँकि, विभिन्न ओजोन क्षयकारी पदार्थ (ODS) विनाश प्रक्रिया को तेज कर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ओजोन का स्तर सामान्य
भारत में कार्बन क्रेडिट व्यापार - (February 2024)
कार्बन क्रेडिट किसी भी व्यापार योग्य प्रमाणपत्र या परमिट को संदर्भित करता है, जो एक विशिष्ट मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड या किसी अन्य ग्रीनहाउस गैस के बराबर मात्रा में उत्सर्जन करने के अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है। कार्बन क्रेडिट एवं कार्बन बाजार ग्रीनहाउस गैस (GHGs) सांद्रता को कम करने के राष्ट्रीय
समुद्री गर्म लहरें: कारण एवं प्रभाव - (February 2024)
समुद्री ताप तरंगें (Marine Heat Wave) एक चरम मौसमी घटना है। यह तब होता है, जब समुद्र के किसी विशेष क्षेत्र की सतह का तापमान कम से कम पांच दिनों के लिए औसत तापमान से 3 या 4 डिग्री सेल्सियस ऊपर बढ़ जाता है। यह हफ्रतों, महीनों या वर्षों तक
शहरी ताप द्वीप: कारण, प्रभाव एवं समाधान - (February 2024)
शहरी ताप द्वीप (Urban Heat Island) वह स्थान है, जहां घनी आबादी वाले शहर में तापमान उपनगरीय या ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में 2 डिग्री सेंटीग्रेट अधिक होता है। ताप द्वीप वर्ष भर दिन अथवा रात के दौरान उत्पन्न हो सकते हैं। शहरी-ग्रामीण तापमान में अंतर अक्सर शांत, स्पष्ट तौर पर
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
कार्बन अवशोषण, उपयोग एवं भंडारण प्रौद्योगिकी - (February 2024)
कार्बन अवशोषण, उपयोग एवं भंडारण (Carbon Capture, Utilization and Storage - CCUS) से तात्पर्य है कि कार्बन अवशोषण तथा इसके पश्चात भंडारण या पुनः प्रयोग के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन कम करने से है, ताकि अवशोषित कार्बन पुनः वातावरण में प्रवेश न कर सके। विद्युत उत्पादन एवं सीमेंट उत्पादन जैसी औद्योगिक
भारत की स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली - (February 2024)
बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली भारत पर हमला करने के लिए आने वाले मिसाइल से रक्षा प्रदान करता है। भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य एक बहु-स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली को विकसित और तैनात करना है। भारत द्वारा दुश्मन देश की
चंद्रयान-3: प्रौद्योगिकी एवं पेलोड - (February 2024)
14 जुलाई, 2023 को इसरो द्वारा श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Center) से ‘लॉन्च व्हीकल मार्क- III’ (LVM-III) से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया। 23 अगस्त, 2023 को चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने 40 दिनों की अपनी यात्रा के पश्चात चंद्रमा पर सॉफ्रट लैंडिंग की, इसके साथ ही
अंतरिक्ष मलबा: राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रयास - (February 2024)
अंतरिक्ष मलबा, पृथ्वी की कक्षा में मानव निर्मित अनुपयोगी वस्तुएं अंतरिक्ष मलबे के रूप में जानी जाती हैं। इनमें प्रक्षेपण के समय उपयोग किए गए रॉकेट, निष्क्रिय उपग्रह, एंटी-सैटेलाइट सिस्टम (ASAT) से उत्पन्न पदार्थ तथा अन्य मानव निर्मित अवयव शामिल रहते हैं। वर्ष 2021 तक, यूनाइटेड स्टेट्स स्पेस सर्विलांस नेटवर्क द्वारा
उपयोगी एवं हानिकारक सूक्ष्मजीव - (February 2024)
सूक्ष्मजीव (Micro Organisms) हमारे पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण हैं। वे हमारे आसपास और सजीवों के शरीर के अंदर रहते हैं। सूक्ष्मजीवों को जीवाणु, कवक, शैवाल और प्रोटोजोआ चार प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया गया है। उपयोगी सूक्ष्मजीव सजीवों के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं और हमारे
संश्लेषित जीव विज्ञान एवं इसके अनुप्रयोग - (February 2024)
संश्लेषित जीव विज्ञान (Synthetic Biology), आनुवंशिक अनुक्रमण (Genetic Sequencing), संपादन और संशोधन का उपयोग करके अप्राकृतिक जीवों (Unnatural Organisms) या कार्बनिक अणुओं (Organic Molecules) को बनाने के विज्ञान को संदर्भित करता है। जीव विज्ञान की यह शाखा वैज्ञानिकों को शून्य (Scratch) से डीएनए के नए अनुक्रमों को डिजाइन और संश्लेषित
नैनो-सामग्रीः अनुप्रयोग - (February 2024)
कोई भी वस्तु नैनो-सामग्री (Nano-Materials) कही जाती है अगर उसका कोई भी बाहरी आयाम, आंतरिक संरचना या सतह संरचना नैनोस्केल (लगभग 1 - 100 एनएम) में हो। उदाहरण के लिए फुलरीन, ग्रैफीन के गुच्छे और 1 एनएम से कम, एक या अधिक बाहरी आयाम वाले एकल दीवार वाले कार्बन नैनोट्यूब को
विटामिन और मिनरल की कमी से होने वाले रोग - (February 2024)
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शरीर में पर्याप्त मात्र में विटामिन और मिनरल का होना बहुत जरूरी है। शरीर को सुचारु रूप से चलाने के लिए कई तरह के विटामिन और मिनरल की जरूरत होती है, यदि उनमें से किसी की भी कमी होती है तो कई प्रकार के
वन हेल्थ दृष्टिकोणः भारतीय पहलें - (February 2024)
वन हेल्थ दृष्टिकोण मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य तथा पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बीच परस्पर समन्वय पर जोर देता है। पशुजन्य रोगों और अन्य संक्रामक रोगों के नियंत्रण में वन हेल्थ दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पशुजन्य रोगों को प्रभावी ढंग से रोकने में ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस
खाद्य संरक्षाः भारत में मानक तंत्र - (February 2024)
खाद्य संरक्षा (Food Safety) एक वैज्ञानिक विधि/अनुशासन है, जो भोजन को संभालने (handling), तैयार करने और भंडारण का वर्णन करता है, जिससे खाद्य जनित (विवकइवतदम) बीमारी को रोका जा सके। खाद्य-जनित बीमारी दूषित भोजन के सेवन से उत्पन्न होने वाली बीमारी के रूप में जाना जाता है। खाद्य संरक्षा से संबंधित
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग’’ - (February 2024)
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Diseases- NTD), संक्रमणों का एक समूह है, जो अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के विकासशील क्षेत्रों में हाशिए पर रहने वाले समुदायों में सबसे आम है। यह विभिन्न प्रकार के रोगजनकों के कारण फैलते हैं, जैसे- वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और परजीवी कीट। NTD विशेष रूप से
दुर्लभ रोग एवं भारत की नीति - (February 2024)
दुर्लभ रोग (Rare Diseases) को ‘अनाथ रोग’ (Orphan Diseases) भी कहा जाता है। यह एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति अथवा ऐसी बीमारियों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिनका प्रचलन लोगों में प्रायः कम पाया जाता है। दूसरे शब्दों में, सामान्य बीमारियों की तुलना में इन बीमारियों से बहुत कम
इंटरनेट ऑफ़ बिहेवियर (IoB) - (February 2024)
इंटरनेट ऑफ बिहेवियर (Internet of Behaviors - IoB) एक ऐसी अवधारणा है, जो मानव मनोविज्ञान के साथ-साथ डेटा विश्लेषण, व्यवहार विश्लेषण और प्रौद्योगिकी को एक साथ लाती है। यह समझने का प्रयास करता है कि मनुष्य क्रय निर्णय लेने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे, कब और क्यों करते हैं।
साइबर सुरक्षा एवं भारत की प्रमुख पहलें - (February 2024)
साइबर सुरक्षा (Cyber Security) या सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा (Information Technology Security) कंप्यूटर, नेटवर्क, प्रोग्राम और डेटा को अनधिकृत पहुंच या हमलों से बचाने की तकनीकें हैं, जो साइबर-भौतिक प्रणालियों (Cyber-Physical Systems) और महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना के दोहन पर लक्षित हैं। प्रौद्योगिकी उद्योग में विश्व में अग्रणी देश होने के बावजूद भारत
आईसीटी: प्रौद्योगिकी एवं शब्दावली - (February 2024)
सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी (Information and communication technology - ICT), सूचना प्रौद्योगिकी का ही विस्तारित नाम है, जो एकीकृत संचार के महत्व को भी रेखांकित करता है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) एक व्यापक क्षेत्र है, जिसमें सूचना के संचार के लिये हर तरह की प्रौद्योगिकी समाहित है। यह वह प्रौद्योगिकी
ओपन नेटवर्क फ़ॉर डिजिटल कॉमर्स - (February 2024)
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (Open Network for Digital Commerce- ONDC) का विकास वाणिज्य मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department of Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) द्वारा किया गया है। यह एक ओपन ई-कॉमर्स प्रोटोकॉल है। वैश्विक स्तर पर अपनी तरह की पहली पहल है,
सेमीकंडक्टरः प्रौद्योगिकी और पहलें - (February 2024)
सेमीकंडक्टर (Semiconductors) एक चालक तथा अचालक (insulator) के बीच की विद्युत चालकता वाले पदार्थ होते हैं। तापमान में वृद्धि के साथ सेमीकंडक्टर की चालकता में वृद्धि हो जाती है। सेमीकंडक्टर का निर्माण जर्मेनियम और सिलिकॉन जैसे तत्वों तथा एल्युमिनियम फॉस्फाइड जैसे यौगिकों से किया जाता है, जो तापमान में वृद्धि के
बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS): प्रौद्योगिकी और उपयोग - (February 2024)
बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Battery Energy Storage Systems - BESS) ऐसे उपकरण होते हैं, जो नवीकरणीय संसाधन आदि से उत्पन्न ऊर्जा को संग्रहीत करने के लिए प्रयोग की जाती है। इसके द्वारा इस प्रकार की ऊर्जा को संग्रहीत किया जाता है तथा आवश्यकता होने पर जारी की जाती है। इन प्रणालियों
ऑर्गेनॉइड इंटेलिजेंस और बायो-कंप्यूटर - (February 2024)
‘ऑर्गेनाइड इंटेलिजेंस’ (Organoid Intelligence - OI), ‘ऑर्गेनॉइड’ की बुद्धिमत्ता क्षमता को संदर्भित करता है, जो समस्या को हल करना, सीऽना या बदलते परिवेशों को अपनाने आदि से संबन्धित होता है। ध्यान रहे कि ऑर्गेनाइड (Organoid) प्रयोगशाला में विकसित ऊतक होते हैं, जो वास्तविक अंगों के समान दिखाई देते हैं। दूसरे
विस्तारित वास्तविकता - (February 2024)
विस्तारित वास्तविकता (Extended Reality - XR) एक अंब्रेला शब्द (Umbrella term) है, जो ऐसी किसी भी तकनीक के लिए प्रयुत्तफ़ किया जाता है, जो भौतिक या वास्तविक दुनिया के वातावरण में डिजिटल तत्वों को जोड़कर वास्तविकता को परिवर्तित (alters reality) कर देती है। विस्तारित वास्तविकता में आभासी वास्तविकता (Virtual reality-VR), संवर्द्धित
प्रुफ-ऑफ-स्टेक तंत्र - (February 2024)
प्रूफ-ऑफ-स्टेक (Proof-of-stake) लेनदेन को संसाधित करने और ब्लॉकचेन में नए ब्लॉक बनाने के लिए एक क्रिप्टोकरेंसी सर्वसम्मति तंत्र (consensus mechanism) है। सर्वसम्मति तंत्र एक वितरित डेटाबेस (distributed database) में प्रविष्टियों को मान्य करने और डेटाबेस को सुरक्षित रखने की एक विधि है। क्रिप्टोकरेंसी के संदर्भ में, डेटाबेस को ब्लॉकचेन कहा जाता
जनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर (GPT) - (February 2024)
यह एक अत्याधुनिक तकनीकी उन्नति (Cutting-edge Technological Advancement) प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता या एआई है, जिसमें मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके नई एवं मूल सामग्री का निर्माण किया जाता है।जीपीटी का उपयोग पाठ, चित्र, संगीत अथवा अन्य प्रकार की मीडिया सामग्री उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।इस
क्वांटम कम्प्यूटिंग एवं भारत सरकार की पहलें - (February 2024)
क्वांटम कम्प्यूटिंग भौतिकी और इंजीनियरिंग का एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जो क्वांटम भौतिकी (उप-परमाण्विक कणों की भौतिकी) के सिद्धांतों पर आधारित है। यह रोजमर्रा की तकनीक की एक विस्तृत श्रृंखला में सुधार करने में सक्षम है। आने वाले समय में स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा, विनिर्माण आदि जैसे क्षेत्रों में क्वांटम कम्प्यूटिंग
सुपरकंप्यूटरः सरकार की पहलें एवं उपलब्धिायां - (February 2024)
यह एक प्रकार का उच्च दक्षता वाला कंप्यूटर होता है, जो उच्चतम परिचालन दर या अत्यधिक गति से कार्य करता है। आमतौर पर सुपरकंप्यूटर के प्रोसेसर के प्रदर्शन को मापने के लिये FLOPS (फ्रलोटिंग पॉइंट ऑपरेशंस प्रति सेकंड) का उपयोग किया जाता है। सुपरकंप्यूटर का उपयोग सामान्यतः ऐसे वैज्ञानिक तथा