भारत की तटीय एवं मरुस्थलीय भू-आकृतियाँ

भारत की भौगोलिक संरचना तीव्र विरोधाभासों को दर्शाती है, जहां एक ओर समुद्री प्रक्रियाओं से निर्मित विस्तृत तटरेखाएँ, हैं, तो दूसरी ओर पवन क्रियाओं से आकार पाए विशाल अंतर्देशीय मरुस्थल स्थित हैं। देश की 7,516 किलोमीटर लंबी तटरेखा और शुष्क थार मरुस्थल मिलकर भूगर्भीय गतिविधियों, जलवायु शक्तियों और अवसादी गतिशीलता के परस्पर प्रभाव को प्रतिबिंबित करते हैं।

  • लहरों, समुद्री धाराओं, हवाओं और मानव हस्तक्षेपों के प्रभाव से भारत की तटीय और मरुस्थलीय भू-आकृतियाँ निरंतर विकसित हो रही हैं। यही कारण है कि ये भू-आकृतियाँ भू-आकृतिक अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण विषय बन जाती हैं।

भारत की तटीय भू-आकृतियाँ

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