रिवर इंटरलिंकिंग
भारत में नदी जोड़ो परियोजना (ILR) का उद्देश्य अधिशेष नदी बेसिनों से जल की कमी वाले बेसिनों में पुनर्वितरित करना है, ताकि क्षेत्रीय जल संकट, सूखा और बाढ़ असंतुलन को दूर किया जा सके। यह अवधारणा भारत की स्थानिक जलवैज्ञानिक असमानता पर आधारित है, जहाँ हिमालयी नदियाँ जल-समृद्ध हैं, वहीं प्रायद्वीपीय नदियाँ मुख्यतः मौसमी प्रवाह वाली हैं।
- नदी जोड़ो परियोजना राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP, 1980) का हिस्सा है, जिसे राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (NWDA) के अंतर्गत संचालित किया जाता है। इसमें कुल 30 प्रमुख लिंक शामिल हैं, 14 हिमालयी और 16 प्रायद्वीपीय।
केन–बेतवा रिवर इंटरलिंकिंग परियोजना
भौगोलिक परिप्रेक्ष्य और ....
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- 20 औद्योगिक कॉरीडोर – DMIC, ईस्ट कोस्ट कॉरीडोर और गति शक्ति
- 21 लॉजिस्टिक्स और मल्टी-मोडल अवसंरचना
- 22 तटीय और ब्लू इकोनॉमी
- 23 बंदरगाह-आधारित विकास
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- 25 पर्यटन और तीर्थ सर्किट
- 26 पारिस्थितिकीय संवेदनशील क्षेत्र एवं भूदृश्य-स्तरीय संरक्षण
- 27 मरुस्थलीकरण एवं भूमि निम्नीकरण
- 28 आर्द्रभूमि, रामसर स्थल एवं अंतर्देशीय जलीय रूपांतरण
- 29 शहरी ऊष्मा द्वीप और नगरीय सूक्ष्म जलवायु: जलवायु अनुकूलन योजना
- 30 वायु प्रदूषण का भूगोल: सिंधु-गंगा का मैदान, NCAP, GRAP और वाहन उत्सर्जन हॉटस्पॉट
- 31 मानसून परिवर्तनशीलता एवं ENSO-IOD प्रतिरूप
- 32 जेट स्ट्रीम और पश्चिमी विक्षोभ: बदलती प्रकृति और जलवायु प्रभाव
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- 34 हिमनद निवर्तन, नदी प्रवाह में परिवर्तन तथा इसके प्रभाव
- 35 समुद्र स्तर वृद्धि, तटीय अपरदन एवं तटरेखा मानचित्रण

