भारतीय नदियों एवं डेल्टाओं पर जल-भूवैज्ञानिक प्रभाव

जलवायु परिवर्तन भारत की नदी प्रणालियों और डेल्टा क्षेत्रों के जलविज्ञानिक और भूवैज्ञानिक संतुलन को पुनः आकार दे रहा है। बढ़ते तापमान, बदले हुए मानसून पैटर्न और हिमनदों के पीछे हटने से नदी प्रवाह, अवसाद (Sediment) परिवहन और डेल्टा की स्थिरता में गहरे परिवर्तन हो रहे हैं। ये जल-भूवैज्ञानिक रूपांतरण विशेष रूप से हिमालय से पोषित बारहमासी नदियों और मानसून-निर्भर प्रायद्वीपीय नदियों में दिखाई देते हैं, जिनका असर भारत की घाटियों में फैले पारिस्थितिक तंत्रों और आजीविकाओं पर पड़ रहा है।

भौगोलिक परिप्रेक्ष्य एवं संवेदनशीलता

  • भारत की नदी प्रणालियाँ 2 श्रेणियों में विभाजित हैं: हिमालयी नदियाँ (हिमनद-आधारित) और प्रायद्वीपीय नदियाँ ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रारंभिक विशेष