समुद्र स्तर वृद्धि, तटीय अपरदन एवं तटरेखा मानचित्रण

समुद्री पारितंत्र मानव सभ्यता के विकास, व्यापार, जलवायु नियमन और खाद्य सुरक्षा का आधार रहे हैं। परंतु 21वीं सदी में इन तटीय इलाकों के सामने एक अभूतपूर्व चुनौती उभरकर आई है; समुद्र स्तर में तीव्र वृद्धि, तटीय अपरदन में तेजी, और इनके कारण तटरेखा (Coastline) के स्वरूप में गहन परिवर्तन। जलवायु परिवर्तन के कारण ये प्रक्रियाएँ अब पृथक घटनाएँ नहीं रहीं, बल्कि परस्पर जुड़ी हुई भौगोलिक–जलवायवीय गतिशीलताएँ बन चुकी हैं जो मानव-जीवन, अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी और अवसंरचना को गहराई से प्रभावित कर रही हैं।

  • भारत की 11,098 किमी लंबी तटरेखा (पहले 7,516 किमी मानी जाती थी) पर 240 मिलियन जनसंख्या निवास करती ....
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