भूमिगत जल का दोहन एवं जलभृतों पर बढ़ता दबाव

भारत में भूजल की निरंतर अति-निकासी, अस्थिर पुनर्भरण और जलभृतों (Aquifers) के अत्यधिक दोहन ने कई क्षेत्रों को गंभीर संकट की स्थिति में पहुँचा दिया है, जिससे जल और खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। भूजल दोहन और जलभृत पर दबाव प्राकृतिक पुनर्भरण और मानव-जनित निकासी के बीच असंतुलन का परिणाम है, जो जलवायु, भूगोल और नीतिगत प्रथाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है।

भूजल वितरण का भौगोलिक आधार

  • भारत में भूजल 2 प्रमुख जल-भूवैज्ञानिक तंत्रों में पाया जाता है:
    • छिद्रयुक्त जलोढ़ जलभृत (सिंधु-गंगा के मैदान में), जिनमें उच्च भंडारण क्षमता और पुनर्भरण की बड़ी संभावना होती है।
    • कठोर शैल जलभृत ....

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