वैश्विक एवं क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य में भारत की रणनीतिक स्थिति

भारत का भौगोलिक स्थान उसे महाद्वीपीय विस्तार और समुद्री शक्ति दोनों का अद्वितीय संगम प्रदान करता है। यह भारत को एशिया, अफ्रीका और यूरोप के मध्य एक स्वाभाविक सेतु बनाता है और उसे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में केंद्रीय भूमिका प्रदान करता है, जिससे वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और सामरिक प्रभाव में भारत की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।

भौगोलिक स्थिति

  • भारत पूर्णतः उत्तरी एवं पूर्वी गोलार्ध में स्थित है; इसका विस्तार 8°4'उ. से 37°6'उ. अक्षांशों तथा 68°7'पू. से 97°25'पू. देशांतरों तक है।
  • दक्षिण एशिया के केंद्र में स्थित होने से यह पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया और हिन्द महासागर क्षेत्र को ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रारंभिक विशेष