कृषि संक्रमण – फसल विविधीकरण, कृषि-जलवायु क्षेत्रीयकरण, प्राकृतिक कृषि

भारतीय कृषि एक महत्वपूर्ण रूपांतरण के दौर से गुजर रही है—एकल फसल पद्धति और रासायनिक निर्भरता से आगे बढ़ते हुए अब वह जल-संरक्षण, जलवायु-अनुकूलन और किसान आय-वृद्धि पर आधारित विविधतापूर्ण तथा टिकाऊ कृषि प्रणाली की ओर अग्रसर है। यह परिवर्तन दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा और भू-जल जीवन्तता के लिए अनिवार्य है।

विविधीकरण और क्षेत्रीयकरण

संकल्पना

व्याख्या एवं तंत्र

भौगोलिक आँकड़े/संबंध

नीति एवं व्यवहार

फसल विविधीकरण

जल-गहन फसलों (जैसे धान, गन्ना) से कम जल-उपयोग और उच्च मूल्य वाली फसलों (जैसे दलहन, तिलहन) की ओर बदलाव

उत्तर-पश्चिमी राज्यों (पंजाब, हरियाणा) में प्रोत्साहित, जहाँ भूजल का गंभीर क्षय

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का ध्यान दलहन/तिलहन पर; बाजरा प्रोत्साहन

कृषि-जलवायु क्षेत्रीयकरण (Agri-Climatic Zoning)

जलवायु, ....

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