वॉटरशेड प्रबंधन एवं नदी पुनर्जीवन
वॉटरशेड (Watershed) एक प्राकृतिक जलवैज्ञानिक इकाई है, जहाँ वर्षा का जल एक सामान्य निकास बिंदु जैसे नदी या झील की ओर प्रवाहित होता है। वॉटरशेड प्रबंधन का अर्थ है भूमि, जल और वनस्पति संसाधनों का वैज्ञानिक उपयोग, ताकि पारिस्थितिक और जलवैज्ञानिक संतुलन बना रहे। वहीं, नदी पुनर्जीवन (River Rejuvenation) का उद्देश्य है; प्रदूषण, अतिक्रमण और अत्यधिक दोहन से प्रभावित नदियों के प्राकृतिक प्रवाह, अवसाद संतुलन और पारिस्थितिक अखंडता को पुनर्स्थापित करना। दोनों मिलकर भौतिक भूगोल, जलविज्ञान और सतत जल नीति को जोड़ते हैं, जिससे दीर्घकालिक पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
भारत में वॉटरशेड प्रबंधन का भौगोलिक आधार
- भारत की विविध ....
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- 14 पड़ोसी देशों के साथ नदीय विवाद
- 15 भारत में प्रमुख मृदाएं
- 16 मृदा का क्षरण, अपरदन एवं संरक्षण तकनीकें
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- 19 खनिज संसाधन: वितरण एवं प्रमुख उत्पादक क्षेत्र
- 20 औद्योगिक कॉरीडोर – DMIC, ईस्ट कोस्ट कॉरीडोर और गति शक्ति
- 21 लॉजिस्टिक्स और मल्टी-मोडल अवसंरचना
- 22 तटीय और ब्लू इकोनॉमी
- 23 बंदरगाह-आधारित विकास
- 24 कृषि संक्रमण – फसल विविधीकरण, कृषि-जलवायु क्षेत्रीयकरण, प्राकृतिक कृषि
- 25 पर्यटन और तीर्थ सर्किट
- 26 पारिस्थितिकीय संवेदनशील क्षेत्र एवं भूदृश्य-स्तरीय संरक्षण
- 27 मरुस्थलीकरण एवं भूमि निम्नीकरण
- 28 आर्द्रभूमि, रामसर स्थल एवं अंतर्देशीय जलीय रूपांतरण
- 29 शहरी ऊष्मा द्वीप और नगरीय सूक्ष्म जलवायु: जलवायु अनुकूलन योजना
- 30 वायु प्रदूषण का भूगोल: सिंधु-गंगा का मैदान, NCAP, GRAP और वाहन उत्सर्जन हॉटस्पॉट
- 31 मानसून परिवर्तनशीलता एवं ENSO-IOD प्रतिरूप
- 32 जेट स्ट्रीम और पश्चिमी विक्षोभ: बदलती प्रकृति और जलवायु प्रभाव
- 33 जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून व्यवहार में परिवर्तन
- 34 हिमनद निवर्तन, नदी प्रवाह में परिवर्तन तथा इसके प्रभाव
- 35 समुद्र स्तर वृद्धि, तटीय अपरदन एवं तटरेखा मानचित्रण

