मृदा का क्षरण, अपरदन एवं संरक्षण तकनीकें

मृदा का क्षरण मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक स्वास्थ्य में गिरावट को दर्शाता है, जिससे उसकी पौधों एवं पारिस्थितिक तंत्र को सहारा देने की क्षमता कम हो जाती है। यह प्राकृतिक प्रक्रियाओं एवं मानव-जनित दबावों जैसे वनों की कटाई, अत्यधिक चराई, अस्थिर खेती एवं औद्योगिक प्रदूषण के कारण होता है। भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 29% (96.4 मिलियन हेक्टेयर) विभिन्न स्तरों पर मृदा क्षरण से प्रभावित है, जो दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता एवं पारिस्थितिक स्थिरता के लिए खतरा है।

भारत में मृदा क्षरण के प्रमुख कारण

  • जल अपरदन: कुल क्षरित भूमि का लगभग 61%; इसमें परत, नलिका एवं ....

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