भारतीय हिमालयी क्षेत्र में असाफोटिडा (हींग) की खेती

  • 20 Oct 2020

15 अक्टूबर, 2020 को सीएसआईआर की घटक प्रयोगशाला इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर ने भारतीय हिमालयी क्षेत्र में असाफोटिडा-हींग (asafoetida) की खेती शुरू करके इतिहास बनाया है।

महत्वपूर्ण तथ्य: लाहौल घाटी के क्वारिंग नाम के गांव में असाफोटिडा (हींग) के पहले पौधे की रोपाई की गई।

  • हींग प्रमुख मसालों में से एक है और यह भारत में उच्च मूल्य की एक मसाला फसल है। भारत अफगानिस्तान, ईरान और उज्बेकिस्तान से सालाना लगभग 1200 टन कच्ची हींग आयात करता है।
  • भारत में फेरुला अस्सा-फोटिडा (Ferula assa-foetida) नाम के पौधों की रोपण सामग्री का अभाव इस फसल की खेती में एक बड़ी अड़चन थी।
  • यह पौधा अपनी वृद्धि के लिए ठंडी और शुष्क परिस्थितियों को तरजीह देता है और इसकी जड़ों में ओलियो-गम नाम के राल (oleo-gum resin) के उत्पादन में लगभग पांच साल लगते हैं।
  • यही वजह है कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र के ठंडे रेगिस्तानी इलाके असाफोटिडा (हींग) की खेती के लिए उपयुक्त हैं।
  • दुनिया में फेरुला की लगभग 130 प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत में फेरुला असा-फोटिडा नहीं है, लेकिन इसकी अन्य प्रजातियां फेरुला जेस्सेकेना (Ferula jaeschkeana) पश्चिमी हिमालय (चंबा, हिमाचल प्रदेश) में और फेरुला नार्थेक्स (Ferula narthex) कश्मीर एवं लद्दाख में पायी जाती हैं, जोकि असाफोटिडा (हींग) पैदा करने वाली प्रजातियां नहीं हैं।