दंड के परिहार का अधिकार, एक संवैधानिक एवं वैधानिक अधिकार

  • सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर, 2025 को यह टिप्पणी की कि नाबालिगों के साथ सामूहिक बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में आजीवन कारावास की सजा पाए दोषियों को दंड परिहार (Remission) की मांग करना न केवल एक संवैधानिक अधिकार है, बल्कि यह एक वैधानिक अधिकार भी है।
  • यह टिप्पणी दो न्यायाधीशों की बेंच (न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना एवं न्यायमूर्ति आर. महादेवन) द्वारा उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376DA या 376DB (नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी।
  • सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने धारा 376DA की ....
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