बौद्ध स्थल और स्तूप

बौद्ध स्थल और स्तूप बौद्ध आस्था की सर्वप्रमुख स्थापत्य अभिव्यक्तियाँ हैं। इनका उद्गम मूलतः अवशेष-समाधि (शारीरिक) रूप में हुआ, किंतु समय के साथ ये विकसित होकर विशाल मठों और शैक्षिक परिसरों में परिवर्तित हो गए। ये परिसर केवल धार्मिक साधना के केन्द्र ही नहीं रहे, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आर्थिक नेटवर्कों और विशिष्ट भारतीय कला एवं वास्तुकला के निरंतर विकास के भी प्रमुख आधार बने, जिन्होंने सहस्राब्दियों तक भारतीय सभ्यता को गहराई से प्रभावित किया।

बौद्ध स्थलों का विकास

काल

संरक्षण, रूप और उद्देश्य

स्थापत्य विकास और सामाजिक-आर्थिक भूमिका

प्राचीनकाल

मौर्य काल: सम्राट अशोक ने बुद्ध के ....

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