प्राचीन, मध्यकालीन एवं ब्रिटिश भारत में बंदरगाह एवं व्यापार मार्ग

भारत की भौगोलिक स्थिति, जो अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर से घिरी हुई है, ने उसे पूर्वी गोलार्ध का समुद्री और वाणिज्यिक केंद्र बना दिया था। लोथल और धोलावीरा जैसे सिंधु सभ्यता के बंदरगाहों से लेकर कालीकट और खंभात जैसे मध्यकालीन पोर्टों तक और फिर बॉम्बे व कलकत्ता जैसे ब्रिटिशकालीन बंदरगाहों तक भारत के बंदरगाह और व्यापार मार्ग सदियों तक वैश्विक व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और साम्राज्यिक समृद्धि के स्तंभ बने रहे। बंदरगाहों और व्यापारिक मार्गों का विकास न केवल भारत की तकनीकी प्रगति और राजनैतिक शक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह उसके वैश्विक व्यापारिक एकीकरण का भी ....

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