प्राचीन भारत में महिलाओं की स्थिति

भारत में महिलाओं की स्थिति एक समान नहीं रही, वह समय, समाज, धर्म और अर्थव्यवस्था के बदलावों के साथ निरंतर विकसित होती रही। प्रारंभिक वैदिक युग में महिलाओं को समाज में सम्मान प्राप्त था, उन्हें शिक्षा, धार्मिक कर्म और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार था। परंतु उत्तर वैदिक काल में धीरे-धीरे पितृसत्तात्मक मान्यताएँ और जातिगत व्यवस्था सुदृढ़ हुईं, जिससे उनका सामाजिक और धार्मिक स्थान सीमित होता गया। ऋग्वेद, धर्मशास्त्र, बौद्ध पाली ग्रंथ और अर्थशास्त्र जैसे स्रोत हमें विभिन्न कालों में महिलाओं की वास्तविक स्थिति का सजीव चित्र प्रस्तुत करते हैं।

प्रारंभिक वैदिक काल (1500–1000 ई.पू.) में महिलाओं की स्थिति

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