संगम साहित्य और उसका सांस्कृतिक संदर्भ

संगम साहित्य (लगभग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक) प्राचीनतम और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तमिल साहित्य-संग्रह है। यह प्राचीन दक्षिण भारत के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन की अमूल्य स्वदेशी झलक प्रदान करता है। मुख्यतः चेर, चोल और पाण्ड्य राजवंशों के अधीन रचित यह साहित्य अपनी द्वैध विषय-वस्तु— अकम (आंतरिक) और पुरम (बाह्य)—के कारण विशिष्ट है।

विकास एवं विषयगत विभाजन

वर्ग / काल

परिभाषित विशेषताएं और ग्रंथ-संग्रह

सामाजिक-राजनीतिक एवं सांस्कृतिक संदर्भ

संगम

परंपरा के अनुसार, तमिल विद्वानों की तीन महान सभाएँ (संगम) लम्बे काल तक फलती-फूलती रहीं; किंतु अध्ययन हेतु वर्तमान में केवल तीसरे संगम के ग्रंथ उपलब्ध हैं।

संरक्षण और ....

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