स्वतंत्रता-पूर्व भारत के महत्त्वपूर्ण शैक्षिक संस्थान

स्वतंत्रता से पहले भारत के प्रमुख शैक्षिक संस्थान केवल पाश्चात्य ज्ञान के प्रसार के केन्द्र ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने औपनिवेशिक शासन की आलोचना करने और भारतीय राष्ट्रवाद को पोषित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • ब्रिटिशों द्वारा स्थापित विश्वविद्यालयों से लेकर सुधार आंदोलनों द्वारा स्थापित स्वदेशी महाविद्यालयों तक, ये संस्थान स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक राष्ट्र-राज्य के निर्माण के लिए आवश्यक बौद्धिक और राजनीतिक नेतृत्व तैयार करने में निर्णायक सिद्ध हुए।

शैक्षिक संस्थानों का विकास

प्रकार/संस्थान

प्रमुख व्यक्ति एवं स्थापना-परिप्रेक्ष्य

सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन में भूमिका

औपनिवेशिक विश्वविद्यालय

कलकत्ता, बम्बई और मद्रास विश्वविद्यालय (1857): वुड्स डिस्पैच (1854) के बाद लंदन विश्वविद्यालय के मॉडल ....

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