मध्यकालीन भारत का साहित्य: अमीर खुसरो, कबीर, तुलसीदास

मध्यकालीन भारतीय साहित्य (लगभग 13वीं–17वीं शताब्दी ई.) संस्कृत और दरबारी फ़ारसी से हटकर जनभाषाओं की ओर एक गहन परिवर्तन का प्रतीक है।

  • यह परिवर्तन मुख्यतः भक्ति और सूफ़ी आंदोलनों से प्रेरित था।
  • अमीर खुसरो, कबीर और तुलसीदास जैसे महान साहित्यकारों ने न केवल उत्कृष्ट कृतियाँ रचीं, बल्कि भाषाई, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिदृश्य को मूल रूप से बदल दिया।
  • इनके साहित्य ने एक विशिष्ट हिन्दू–मुस्लिम सांस्कृतिक संश्लेषण (इंडो-इस्लामिक सिंथेसिस) को जन्म दिया।

साहित्यिक योगदान और सामाजिक संदर्भ

व्यक्तित्व

प्रमुख कृतियाँ एवं भाषा

सामाजिक–सांस्कृतिक एवं भाषाई प्रभाव

अमीर खुसरो (1253–1325 ई.)

काव्य/संगीत: ऐतिहासिक मसनवी, फ़ारसी ग़ज़लें तथा हिन्दवी में रचनाएँ जैसे ख़ालिक़-ए-बारी (फ़ारसी, अरबी और हिन्दवी शब्दों ....

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