मौर्योत्तर एवं गुप्त काल में व्यापार एवं वाणिज्य

मौर्योत्तर और गुप्त काल (200 ई.पू. – 600 ई.) भारतीय व्यापार का शास्त्रीय युग माना जाता है। इस समय नगरों का पुनर्जागरण हुआ, व्यापारिक मार्ग फले-फूले, व्यापारी संघ (श्रेणियाँ) सक्रिय हुए और भारत ने रोमन साम्राज्यएशिया के अन्य देशों से व्यापारिक संबंधों का विस्तार किया। इस युग में व्यापार, मौर्य काल की राज्य-नियंत्रित व्यवस्था से बदलकर व्यापारी-प्रधान, श्रेणी-आधारित प्रणाली में विकसित हुआ, जिसने भारत को विस्तृत अफ्रीका-एशिया-यूरोप व्यापार जाल से जोड़ा। अरिकामेडु, पुहार और भरुकच्छ जैसे स्थलों से मिले पुरातात्त्विक साक्ष्य भारत की प्राचीन वाणिज्यिक दक्षता और वैश्विक भूमिका को दर्शाते हैं। आज की वाणिज्यिक संस्थाएँ और व्यापार ....

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