उपनिषद और उनकी दार्शनिकता

उपनिषद (लगभग 800–400 ई.पू.), जिसका शाब्दिक अर्थ है गुरु के समीप बैठना”, वेदों का अंतिम भाग हैं, अतः इन्हें वेदान्त कहा जाता है।

  • ये वैदिक विचारधारा में एक गहन दार्शनिक परिवर्तन का प्रतीक हैं।
  • ब्राह्मण ग्रंथों के यांत्रिक यज्ञ-कर्मकाण्ड से आगे बढ़कर उपनिषदों ने रहस्यमय और बौद्धिक जिज्ञासा पर बल दिया तथा आत्मा (आत्मन्), ब्रह्म और मोक्ष जैसे मूलभूत सिद्धांतों को प्रतिपादित किया।
  • यही आगे चलकर समस्त आस्तिक भारतीय दर्शन की आधारशिला बने।

विकास और मूल अवधारणाएं

विषय / अनुभाग

मुख्य दार्शनिक शिक्षा

सामाजिक-सांस्कृतिक महत्त्व

कर्म से ज्ञान की ओर

कर्मकाण्ड से ज्ञानकाण्ड की ओर संक्रमण: उपनिषदों ने यज्ञों की बाह्य ....

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