मंदिर स्थापत्य की प्रमुख शैलियाँ: नागर, द्रविड़ एवं वेसर

भारत में मंदिर स्थापत्य का सुव्यवस्थित विकास गुप्तकाल के बाद (लगभग 5वीं शताब्दी ईस्वी) हुआ। इस काल में यह कला 3 प्रमुख शैलियों में विभाजित हुई: नागर (उत्तरी भारत की शैली), द्रविड़ (दक्षिण भारतीय शैली) और वेसर (दक्षिण-मध्य या मिश्रित शैली)।

  • ये स्थापत्य शैलियाँ केवल कलात्मक अभिव्यक्ति नहीं थीं, बल्कि उस समय के राजनैतिक आश्रय, धार्मिक विचारधारा और आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियों का जीवंत प्रतीक भी थीं। इन्होंने भारतीय मंदिर निर्माण की वह परंपरा स्थापित की जो आज तक जीवित है।
प्रमुख शैलियों का विकास एवं स्वरूप

शैली

भौगोलिक क्षेत्र एवं संरक्षक शासक

मुख्य स्थापत्य विशेषताएँ

सामाजिक-राजनीतिक विकास

नागर शैली (उत्तरी भारत)

  • हिमालय एवं विंध्य पर्वतों के ....
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