ऋग्वैदिक समाज की पशुपालक–कृषि आधारित अर्थव्यवस्था

लगभग 1500 ई.पू. से 1000 ई.पू. के बीच की अवधि में विकसित ऋग्वैदिक अर्थव्यवस्था वैदिक सभ्यता के प्रारंभिक चरण का प्रतिनिधित्व करती है, जो प्रारंभ में पशुपालक थी और धीरे-धीरे कृषि आधारित रूप की ओर अग्रसर हुई।

  • ऋग्वेद, जो भारत का सबसे प्राचीन वैदिक ग्रंथ है, उस युग की आर्थिक संरचना, व्यवसायों और आजीविका के तरीकों का प्रत्यक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करता है।
  • यह एक अर्ध-घुमंतू (Semi-Nomadic) समाज को दर्शाता है, जिसकी अर्थव्यवस्था गौ-आधारित थी और जो क्रमशः सप्त-सिंधु प्रदेश (7 नदियों की भूमि) में स्थायी कृषि जीवन की ओर बढ़ रहा था।

प्रधान पशुपालक अर्थव्यवस्था

गौधन का केंद्रीय स्थान (Gau/Gavishti)

  • उस ....
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