सात दीर्घस्‍थायी कार्बनिक प्रदूषकों की संपुष्टि की मंजूरी

  • 08 Oct 2020

7 अक्टूबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दीर्घस्थायी कार्बनिक प्रदूषकों-पीओपी (Persistent Organic Pollutants- POPs) पर स्टॉकहोम समझौते में सूचीबद्ध 7 रसायनों की संपुष्टि की मंजूरी दी।

महत्वपूर्ण तथ्य: घरेलू नियमों के तहत विनियमित की गई प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से पीओपी के संबंध में शक्तियां केन्द्रीय विदेश मंत्री और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री को सौंप दी गई हैं।

  • सात रसायनों जैसे (i) क्लोरडीकोन, (ii) हेक्साब्रोमोबाइफिनाइल, (iii) हेक्साब्रोमोडीफिनाइल ईथर और हेप्टाब्रोमोडीफिनाइल ईथर (वाणिज्यिक ऑक्टा-बीडीई), (iv) टेट्राब्रोमोडीफिनाइल ईथर और पेंटाब्रोमोडीफिनाइल ईथर (वाणिज्यिक पेंटा-बीडीई), (v) पेंटाक्लोरोबेंजीन, (vi) हेक्साब्रोमोसाइक्लोडोडीकेन,और(vii) हेक्साक्लोरोब्यूटाडीन के उत्पादन, व्यापार, उपयोग, आयात और निर्यात को प्रतिबंधित किया गया है।
  • पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत 5 मार्च, 2018 को ‘दीर्घकालिक जैविक प्रदूषकों के विनियमन' को अधिसूचित किया था।
  • पीओपी पहचाने हुए रासायनिक पदार्थ हैं, जो पर्यावरण में दृढ़ता से रहते हैं, जीवित जीवों में जैव-संचित होते हैं तथा मानव स्वास्थ्य / पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
  • स्टॉकहोम समझौता पीओपी से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा के लिए एक वैश्विक संधि है। भारत ने 13 जनवरी, 2006 को स्टॉकहोम समझौते की पुष्टि की थी।
  • पीओपी के संपर्क में आने से कैंसर, केन्द्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान, प्रतिरक्षा प्रणाली की बीमारियां हो सकती हैं। साथ ही प्रजनन संबंधी विकार और सामान्य शिशु और बच्चों के विकास में भी बाधा आ सकती है।