चक्रीय अर्थव्यवस्था एवं विस्तारित उत्पादक दायित्व (EPR)
भारत में तेजी से बढ़ते शहरीकरण और उपभोग को प्रबंधित करने के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) की ओर बदलाव अत्यंत आवश्यक है। इसका एक प्रमुख साधन है विस्तारित उत्पादक दायित्व (Extended Producer Responsibility-EPR) जिसके अंतर्गत उत्पादकों को उनके उत्पादों के जीवन चक्र के अंतिम चरण की जिम्मेदारी उठानी होती है। इसे पहली बार 2016 में प्लास्टिक कचरे के लिए लागू किया गया था। अब यह दायर ई-कचरा, प्लास्टिक पैकेजिंग, बैटरियां और टायर तक विस्तारित हो चुका है।
हालिया प्रगति
- दिसंबर 2024 में सरकार ने नए कचरा वर्गों पर EPR के लिए मसौदा नियम जारी किए, जिनमें कागज, काँच, धातु ....
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