निजता का अधिकार और डेटा संरक्षण : डिजिटल युग में अनुच्छेद 21

आज के डेटा-केन्द्रित विश्व में निजता का अधिकार एक सर्वोपरि चिंता का विषय बन गया है। भारत, जहाँ डिजिटल अर्थव्यवस्था तीव्र गति से विस्तार कर रही है और 80 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपभोक्ता हैं, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा की चुनौती से जूझ रहा है।

  • आईबीएम की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में डेटा लीक की औसत लागत वर्ष 2025 में बढ़कर 220 करोड़ रुपये तक पहुँच गई, जो सुदृढ़ डेटा संरक्षण तंत्र की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के अनियंत्रित प्रयोग से प्रेरित साइबर-हमले और डेटा दुरुपयोग इस समस्या को और गहन बना रहे हैं।

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रारंभिक विशेष