स्थानीय निकायों का लेखा-परीक्षण: जमीनी स्तर पर उत्तरदायित्व की मजबूती

स्थानीय निकायों का लेखा-परीक्षण शासन के जमीनी स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। 1992 के 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन अधिनियमों, जिनमें पंचायती राज संस्थाओं (PRI) और शहरी स्थानीय निकायों (ULB) को शक्तियों और निधियों का विकेंद्रीकरण किया गया था, के बाद एक सुदृढ़ लेखा-परीक्षण तंत्र की आवश्यकता सर्वोपरि हो गयी है।

  • राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 में नियमित सामाजिक लेखा परीक्षा का प्रावधान है ताकि योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। राज्य सरकार, नरेगा के अंतर्गत, राज्य स्तर पर एक स्वतंत्र संगठन, सामाजिक लेखा परीक्षा इकाई (SAU) की ....
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